वर्ष २०१८ से २०२० के दौरान देश में २५ सहस्र से अधिक नागरिकों ने आत्महत्या की ! – केंद्र सरकार

आत्महत्या के पीछे बेरोजगारी और कर्जबाजारी ये दो मुख्य कारण

  • स्वतंत्रता से लेकर अब तक सभी पक्षों के शासनकर्ताओं द्वारा जनता को मूलभूत सुविधाएं न दिए जाने के कारण लोगों को आत्महत्या करनी पडती है, यह शासनकर्ताओं के लिए लज्जास्पद !  – संपादक
  • हिन्दुओं को धर्मशिक्षा न होने के कारण उनको जीवन का मूल उद्देश्य पता नहीं चलता, साथ ही साधना न करने के कारण ‘परिस्थिति की ओर कैसे देखें , और ईश्वर पर श्रद्धा रख कैसे आचरण करें’, यह भी उन्हें ज्ञात नहीं और वे आत्महत्या जैसे जघन्य अपराध करते  हैं ! हिन्दुओं को सभी पक्षों के शासनकर्ताओं ने साधना सिखाई होती, तो यह स्थिति निर्माण ही न होती !  – संपादक

नई दिल्ली – देश में वर्ष २०१८ से २०२० इन ३ वर्षों में बेरोजगारी के कारण ९ सहस्र १४० तो, कर्ज के कारण १६ सहस्र ९१, ऐसे कुल २५ सहस्र २३१ लोगों के आत्महत्या करने की जानकारी केंद्रीय गृहराज्यमंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में एक लिखित प्रश्न के उत्तर में दी । राष्ट्रीय जांच पंजीकरण विभाग द्वारा दिए आंकडों के आधार पर उन्होंने यह जानकारी दी ।

१. बेरोजगारी के कारण आत्महत्या का प्रमाण बढने के साथ कोरोना के समय वर्ष २०२० में यह सबसे अधिक, अर्थात ३ सहस्र ५४८ था । वर्ष २०१८ में २ सहस्र ७४१ लोगों ने, तो २०१९ में २ सहस्र ८५१ लोगों ने आत्महत्या की ।

२. कर्ज के कारण अथवा दिवालिएपन के कारण वर्ष २०१८ में ४ सहस्र ९७०, वर्ष २०१९ में ५ सहस्र ९०८ लोगों ने आत्महत्या की । वर्ष २०२० में यह संख्या ६०० से कम थी । इस दौरान ५ सहस्र २१३ लोगों की मृत्यु हुई ।

३. नित्यानंद राय ने कहा कि, केंद्र सरकार ‘राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम’ चला रही है ।इसके द्वारा देश के ६९२ जिलों में जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम को सहायता कर रही है । मानसिक स्वास्थ्य सुधारणा कार्यक्रम और रोजगार के नए अवसर उपलब्ध करा कर आत्महत्या रोकने का केंद्र सरकार प्रयास कर रही है ।