संविधान के माध्यम से भारत को ‘हिन्दू राष्ट्र’ घोषित करें !

प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) में संत सम्मेलन में सहस्त्रों संतों द्वारा प्रस्ताव स्वीकृत !

वास्तव में, भारत को वर्ष १९४७ में हिन्दू राष्ट्र घोषित किए जाने की अपेक्षा थी । अब जब यह मांग पुन: जोर पकड रही है, तो संतों ने इस जनभावना से एकरूप होकर हिन्दू राष्ट्र की मांग की है । बीजेपी एक हिन्दू समर्थक राजनैतिक दल है, इसलिए हिन्दुओं को अपेक्षा है कि उसे जनभावना का सम्मान करते हुए इस दिशा में आगे बढना चाहिए !  – संपादक

संत संमेलनामध्ये उपस्थित साधू-संत

प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) – यहां के बह्मर्षि आश्रम में माघ मेले के अवसर पर आयोजित संत सम्मेलन में सहस्त्रों साधु-संतों ने भाग लिया । उनमें शंकराचार्य नरेंद्रानंद सरस्वती भी थे । इस समय, संतों ने ‘संविधान’ में संशोधन  कर भारत को ‘हिन्दू राष्ट्र’ घोषित करने के प्रस्ताव पर सहमति व्यक्त की । संतों ने कहा कि, “संत सम्मेलन का उद्देश्य भारत को एक ‘हिन्दू राष्ट्र’ बनाना और इस्लामी जिहाद को मिटाना है । देश के सवा सौ करोड हिन्दू जनों को अब स्वयं घोषणा करनी चाहिए कि भारत एक हिन्दू राष्ट्र है । उन्हें आज से ऐसा लिखना शुरू कर देना चाहिए, तभी इस मांग का आंदोलन पूरे देश में पहुंचेगा और अंत में सरकार संतों और हिन्दू जनों के सामने झुकने के लिए बाध्य होगी ।”

इस सम्मेलन में संतों ने यह भी मांग की, कि भारत में मुसलमानों का ‘अल्पसंख्यक’ का दर्जा समाप्त कर दिया जाए तथा मठों और मंदिरों का सरकारकारीकरण समाप्त किया जाए और देश में धर्मांतरण विरोधी कानूनों को लागू करके दोषियों के लिए मृत्यु दंड का प्रावधान करने के प्रस्ताव को भी सहमति दी गई । यह भी मांग की गई, कि बंदी बनाए गए  यति नरसिंहानंद गिरि महाराज और जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी (पूर्वाश्रम के वसीम रिजवी) को तत्काल बिना शर्त मुक्त किया जाए ।

जब उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार है, तो हिन्दू संतों के धार्मिक कार्यक्रम में बाधा डालने के ऐसे प्रयास की अपेक्षा हिन्दुओं को नहीं है !  – संपादक

संत, सम्मेलन में न आएं, इसलिए प्रशासन के प्रयास !

इस बार कुछ संतों ने आरोप लगाया कि जिला प्रशासन ने उन्हें दूरध्वनि  कर सम्मेलन में सम्मिलित नहीं होने को कहा । साथ ही, प्रशासन की ओर से कुछ बाधाएं भी खडी की गईं ।

‘धर्म संसद’ नाम को अनुमति देने का प्रशासन द्वारा इनकार किए जाने के कारण इसका नाम बदलकर ‘संत सम्मेलन’ कर दिया गया !

हिन्दू बहुल भारत में यह लज्जास्पद है, कि हिन्दू संतों को इस तरह कार्यक्रम का नाम बदलना पड रहा है ! इससे छुटकारा पाने का एकमात्र उपाय है, हिन्दू राष्ट्र की स्थापना ! यह समझ लें !  – संपादक

सम्मेलन को ‘धर्म संसद’ का नाम दिया गया था, किन्तु प्रशासन ने नाम पर आक्षेप लिया और इसे अनुमति देने से अस्वीकार कर दिया । इसलिए, नाम को बदल कर ‘संत सम्मेलन’ किया गया, ऐसा संतों ने सूचित किया ।