केंद्रीय सूचना आयुक्त श्री. उदय माहूरकर एवं सहलेखक श्री. चिरायू पंडित लिखित ‘वीर सावरकर – दी मैन हू कुड हैव प्रिवेंटेड पार्टिशन’ पुस्तक का गोवा में लोकार्पण
ताळगांव (पणजी) – स्वतंत्रतावीर सावरकर के जीवन पर नए सिरे से प्रकाश डालनेवाले और केंद्रीय सूचना आयुक्त श्री. उदय माहूरकर एवं सहलेखक श्री. चिरायु पंडित लिखित ‘वीर सावरकर – दी मैन हू कुड हैव प्रिवेंटेड पार्टिशन’ पुस्तक का ९ जनवरी को यहां के ‘गोमंतक मराठा समाज – राजाराम स्मृति सभागार’ में आयोजित विशेष कार्यक्रम में लोकार्पण किया गया । इस अवसर पर व्यासपीठ पर सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस, हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे और पुस्तक के लेखक श्री. उदय माहूरकर उपस्थित थे । स्वातंत्र्यवीर राष्ट्रीय स्मारक के अध्यक्ष मुंबई के श्री. प्रवीण दीक्षित (सेवानिवृत्त पुलिस महानिदेशक) भी इस कार्यक्रम में ऑनलाइन पद्धति से उपस्थित थे ।
भारत सरकार के सूचना आयुक्त श्री. उदय माहूरकर की रामनाथी (गोवा) के सनातन आश्रम को सद्भावना भेंट
रामनाथी (गोवा) – भारत सरकार के सूचना आयुक्त श्री. उदय माहूरकर ने ८ जनवरी २०२२ को रामनाथी (गोवा) के सनातन आश्रम से सद्भावना भेंट की । श्री. माहूरकर उनके द्वारा लिखित ‘वीर सावरकर : दी मैन हु कुड हैव प्रिवेंटेड पार्टिशन’ पुस्तक के लोकार्पण के लिए गोवा आए थे । इस अवसर पर सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस (आध्यात्मिक स्तर ६६ प्रतिशत) ने उन्हें आश्रम में चल रहे राष्ट्र-धर्म के प्रसार का कार्य और आध्यात्मिक शोध के कार्य की जानकारी दी ।
श्री. उदय माहूरकर ने यह मत व्यक्त करते हुए कहा कि ‘‘किसी भी राष्ट्र का सामर्थ्य एवं सुरक्षा उस राष्ट्र की सैन्यशक्ति सुनिश्चित करती है । वीर सावरकर ने भारतीय युवकों को सेना में भरती होने का आवाहन किया था । वीर सावरकर ने वर्ष १९५२ में कहा था कि भारत को परमाणुबम बनाना चाहिए । वीर सावरकर की राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति की दूरदृष्टि अतुलनीय थी । वीर सावरकर की ‘समर्थ भारत’ की संकल्पना का क्रियान्वयन हो जाता, तो अब तक भारत महासत्ता बन गया होता ।’’
इस समय गोवा के महनीय व्यक्ति उपस्थित थे । उसमें ‘भारत माता की जय’ के प्रा. सुभाष वेलिंगकर, पतंजलि योग प्रतिष्ठान के डॉ. सूरज काणेकर, ‘स्वराज गोमंतक’ के श्री. प्रशांत वाळके, राष्ट्रीय युवा वाहिनी की श्रीमती सुमन शर्मा, युगांतर के श्री. अभिदीप देसाई, पूर्व नौसेना अधिकारी श्री. प्रवीण चौधरी, गोमंतक मंदिर महासंघ के श्री. जयेश थळी इत्यादि उपस्थित थे । श्री. प्रवीण चौधरी, अधिवक्ता शैलेश कुलकर्णी, श्री. प्रशांत वाळके, श्री. जयेश थळी, श्री. अभिदीप देसाई आदि ने इस चर्चा में भाग लिया । सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस ने वक्ताओं का परिचय करवाया और अंत में आभार व्यक्त किया ।
श्री. उदय माहूरकर का परिचयश्री. उदय माहूरकर एक वरिष्ठ पत्रकार, राजनीतिक विश्लेषक और लेखक हैं । उन्होंने ‘इंडिया टुडे’ समाचारसमूह में पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक के रूप में ३४ वर्ष काम किया, साथ ही वे वहां वरिष्ठ उपसंपादक के रूप में भी कार्यरत थे । ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘आदर्श शासन’ की संकल्पना / परियोजना के वे विशेषज्ञ हैं । (Expert on Modi model of governance) विषय पर उन्होंने ‘मार्चिंग विथ बिलियन’, ‘सेंटरस्टेज’ ये पुस्तक भी लिखे हैं । साथ ही वे वीर सावरकर के ‘भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा’ इस महत्त्वपूर्ण सूत्र के विशेषज्ञ हैं । अक्टूबर २०२० में भारत शासन ने ‘सूचना आयुक्त’ के रूप में उनकी नियुक्ति की है । |
वीर सावरकर के विचारों को आचरण में लाया जाता, तो विभाजन तो दूर; भारत विश्वगुरु बन गया होता ! – उदय माहूरकर, केंद्रीय सूचना आयुक्तइतिहास में गोवा में किए गए ‘इन्क्विजिशन’ का उल्लेख नहीं किया गया है । आज भी देश के कई सडकों को क्रूर मुघलों के नाम दिए गए हैं । एनसीईआरटी की ७ वीं कक्षा की पाठ्यपुस्तक में छत्रपति शिवाजी महाराज का केवल एक ही बार उल्लेख किया गया है । अज अल्पसंख्यकों के सरकारी अनुदानित विद्यालयों में मौलवियों की नियुक्ति की गई, तो उनका वेतन सरकार देती है; परंतु हिन्दू बहुसंख्यक होते हुए भी किसी अनुदानित सरकारी विद्यालय में पंडित की नियुक्ति करनी हो, तो सरकार उसकी अनुमति नहीं देती । वीर सावरकर एक द्रष्टा पुरुष और राष्ट्रीय सुरक्षा के एक आइकॉन (प्रतिनिधि) थे । हमने वीर सावरकर के विचारों के अनुसार आचरण किया हो, तो देश का विभाजन तो दूर ही रहा; उल्टे भारत विश्वगुरु बन गया होता । वीर सावरकर के विचारों का पालन न करने से देश की बडी हानि हुई । वीर सावरकर पर क्षमापत्र लिखने का आरोप लगाया जाता है । क्षमापत्र लिखना तो वीर सावरकर की हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करने की दिशा में उपयोग की गई चाणक्यनीति थी । हिन्दवी स्वराज्य की स्थापना करनेवाले छत्रपति शिवाजी महाराज ने भी उनके कार्यकाल में ५ बार क्षमापत्र लिखे हैं । वीर सावरकर के जीवन का नए सिरे से अध्ययन करने के लिए सभी को ‘वीर सावरकर दी मैन हू कुड हैव प्रिवेंटेड पार्टिशन’ पुस्तक का वाचन करना चाहिए और उनके विचारों के अनुसार आचरण करना चाहिए । |