तमिलनाडु में हिन्दी को तीसरी भाषा के रुप में सिखाया, तो क्या परेशानी है ? – मद्रास उच्च न्यायालय का प्रश्न

दक्षिण भारत में हिन्दी  की कोई गिनती ही नहीं ,यह बारंबार दिखाई देता है । इसके लिए केंद्र सरकार ने देशभर में देवभाषा संस्कृत को प्रधानता देने के लिए प्रयास किया, तो देश में कोई भी भाषा विवाद शेष नहीं रहेगा !  – संपादक

चेन्नई – मद्रास उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई के समय कहा, ‘राज्य में पहले से ही तमिल और अंग्रेजी पढाई जा रही है । विद्यालय पाठ्यक्रम में तीसरी भाषा के रुप में हिन्दी का समावेश करने में क्या परेशानी है ? यदि किसी को हिन्दी नहीं आती होगी, तो उसे उत्तरभारत में नौकरी मिलने में अनेक परेशानियां आ सकती हैं ।’ ऐसा कहते हुए मद्रास उच्च न्यायालय ने संबंधित संस्थाओं को ८ सप्ताह में इस विषय पर उत्तर देने के लिए  कहा है ।

इस समय महाधिवक्ता आर. षण्मुगासुंदरम ने राज्य सरकार की ओर से बोलते हुए कहा, ‘राज्य का प्रत्येक व्यक्ति हिन्दी सीखने के लिए स्वतंत्र है । हिन्दी सिखाने वाली संंस्थाओं  की ओर से हिन्दी सीख सकते हैं ।’ इसपर न्यायालय ने कहा कि, ‘सीखना’ और ‘सिखाने’ में अंतर है ।