राष्ट्र के प्रति कर्तव्य निभाकर राष्ट्राभिमानी बनें !
गणतंत्र दिवस के निमित्त …
राष्ट्रभक्ति का अर्थ क्या है ?
जन्म देनेवाली मां पर हमारा प्रेम होता है, हम उसका आदर करते हैं, उसी प्रकार हमारी भारतभू हमारी राष्ट्रमाता है, इसका हमें अभिमान होना चाहिए । हमारा जन्म भारत जैसे सबसे प्राचीन और सर्वश्रेष्ठ संस्कृतिवाले राष्ट्र में हुआ है, इसका महत्त्व हमें समझना चाहिए । अपने राष्ट्र के प्रति हमारे मन में नितांत आदर युक्त भावना होनी चाहिए । हमारे क्रांतिकारियों ने तो अपने राष्ट्र पर प्राणों से भी अधिक प्रेम किया । यही राष्ट्रभक्ति है । क्या आपका अपने राष्ट्र पर प्रेम है ? अपने राष्ट्र पर हमारा प्रेम है, क्या केवल ऐसा कहने से काम चलेगा ? वह हमारे कृत्य से दिखाई देना चाहिए ।
राष्ट्रभक्ति बढाएं !
हमारे राष्ट्र के तेजस्वी इतिहास और श्रेष्ठतम संस्कृति को हम समझ लेंगे, तो हममें हमारे राष्ट्र के प्रति अभिमान जागृत होगा । राष्ट्र के प्रति अभिमान होगा, मन में राष्ट्रप्रेम होगा, तो राष्ट्र के प्रतीकों के प्रति भी हमारे मन में आदर रहेगा । राष्ट्र के प्रतीक कौन से हैं ? राष्ट्रध्वज, राष्ट्रगीत, ‘वन्दे मातरम्’ जैसा राष्ट्रीय गीत, राष्ट्र का मानचिह्न आदि हमारे राष्ट्रीय प्रतीक हैं । इनका यथोचित सम्मान करना, हमारा राष्ट्रकर्तव्य है । परंतु विद्यार्थी मित्रो, क्या हम इस कर्तव्य को निभा रहे हैं ? आज क्या स्थिति है ? कई स्थानों पर राष्ट्रध्वज, राष्ट्रगीत, हमारे राष्ट्र का मानचिह्न आदि की अवमानना होती हुई दिखाई देती है न ? हमारे राष्ट्रप्रतीकों का सम्मान करना और यदि कहीं पर उनकी अवमानना हो रही हो, तो उसे रोकना, ये कृत्य हमारे द्वारा होने पर उससे ही अपना राष्ट्रप्रेम दिखाई देगा । हमारे राष्ट्र के आदर्श नागरिक के रूप में हमारे जो भी कर्तव्य हैं, उनका पालन करना, यह भी हमारी राष्ट्रभक्ति ही है ।
राष्ट्रध्वज का सम्मान कैसे करोगे ?
‘२६ जनवरी’ अथवा ‘१५ अगस्त’ मनाए जाने के उपरांत हम देखते हैं कि राष्ट्रध्वज सडक पर, सडक के किनारे इधर-उधर गिरे हुए होते हैं; कुछ नालियों में जाते हैं, तो कुछ पैरों तले कुचले जाते हैं । राष्ट्रध्वज ऊंचे स्थान पर फहराया जाना, यह बात हमारे राष्ट्र के स्वतंत्र होने का प्रतीक है । पहले दिन हम राष्ट्रध्वज फहराकर राष्ट्रगीत गाते हैं, तब हमें इस स्वतंत्र राष्ट्र के नागरिक होने का अभिमान लगता है और दूसरे ही दिन वही राष्ट्रध्वज सडक पर गिरा, फटा हुआ देखकर हमें कुछ भी कैसे नहीं लगता ? हमारा मन राष्ट्रध्वज के प्रति इतना असंवेदनशील कैसे हो जाता है ? मित्रो, अपने राष्ट्रध्वज का सदैव सम्मान करना, हमारा राष्ट्रकर्तव्य समझकर आज से हम ऐसी प्रतिज्ञा करेंगे कि ‘राष्ट्रध्वज का सम्मान करने के लिए सदैव प्रयत्नशील रहेंगे’ । अपनी कक्षा में, पाठशाला में, सडक पर कहीं भी राष्ट्रध्वज पडा दिखाई देने पर उसे उठाकर पाठशाला में जमा करेंगे । बच्चो, राष्ट्रध्वज सडक पर पडें नहीं, इसलिए हमें प्लास्टिक के राष्ट्रध्वज का उपयोग करना ही नहीं है । अपने वाहन तथा कुर्ते की जेब में उन्हें लगाना नहीं है । कुछ लोग राष्ट्रध्वज अपने मुख पर रंगा लेते हैं, कुछ राष्ट्रध्वज के समान रंगरूप के वस्त्र परिधान करते हैं, तो कुछ राष्ट्रध्वज के रंग का केक काटते हैं । यह उचित नहीं है, यह अबतक आपकी समझ में आ ही गया होगा । ऐसा कहीं भी पाए जाने पर, ऐसा करनेवालों को हमें बताना चाहिए कि यह अयोग्य है और इससे हमारे राष्ट्रध्वज का अनादर होता है । कहीं पर राष्ट्रध्वज उलटा लटकाया जाता है अथवा उसका उलटा चित्र बनाया जाता है, यह तो अक्षम्य अपराध है । हमें इसका स्मरण होना चाहिए कि राष्ट्रध्वज संहितानुसार राष्ट्रध्वज का अनादर करना, संवैधानिक अपराध है । यदि बताने पर भी कोई मानने के लिए तैयार नहीं हो, तो उन्हें इसका भान कराना चाहिए ।
राष्ट्रगीत और राष्ट्र के मानचिह्न के सम्मान के प्रति सजग रहें !
राष्ट्रगीत अथवा राष्ट्रगीत की धुन कहीं भी बजाई जा रही हो, तो हमें ‘सावधान’ की स्थिति में खडे रहना चाहिए । यह कृत्य करना हमारे द्वारा अपने राष्ट्र को दिया सम्मान है । कुछ लोग उस समय बैठे रहते हैं । राष्ट्रगीत की धुन केवल ५३ सेकंड की है । इतने समय तक खडे रहने का भी राष्ट्रप्रेम हममें नहीं है क्या ? राष्ट्रगीत का सदैव सम्मान किया जाए, इसलिए राष्ट्रगीत की धुन भी उचित स्थान पर ही बजायी जानी चाहिए ।
राष्ट्राभिमान कैसे संजोएं ?
१. बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा लिखित ‘वन्दे मातरम्’ गीत स्वतंत्रता पूर्वकाल में क्रांतिकारियों का प्रेरणास्रोत था, तो ‘वन्दे मातरम्,’ यह जयघोष क्रांतिकारियों की चेतना जगानेवाला स्वतंत्रता का मूलमंत्र था । आज भी जब हम संपूर्ण ‘वन्दे मातरम्’ गाते हैं, तो शरीर पर रोंगटे खडे हो जाते हैं । विद्यालय, महाविद्यालय, कार्यालयों में हमें उसे अवश्य गाना चाहिए और अपनी मातृभूमि का वंदन करना चाहिए ।
संपूर्ण ‘वन्दे मातरम्’ गीत इस लिंक पर उपलब्ध है : http://www.hindujagruti.org/activities/campaigns/vande-mataram/lyrics-meaning
२. कई लोग ट्रेकिंग के लिए जाते हैं । विद्यार्थियोें, हमें केवल साहस दिखाने के लिए गढ एवं किलों पर चढना नहीं है, अपितु छत्रपति शिवाजीराजा ने अपने सैनिकों के साथ पराक्रम कर शत्रु से ये गढ जीते और हिन्दवी स्वराज्य स्थापित किया । हिन्दुओं के इस तेजस्वी इतिहास को सतत स्मरण करना है । इस दृष्टि से गढ, किले एवं जलदुर्ग आदि का भ्रमण करें । उन दुर्गाें को शिवछत्रपति का पदस्पर्श हुआ है, उस समय इसका भान रखें ।
३. विदेशी बनावटी की वस्तुओं की अपेक्षा स्मरणपूर्वक अपने देश के प्रतिष्ठानों में (कंपनियों में) बनी वस्तुओं का उपयोग करें । इन वस्तुओं के प्रतिष्ठानों की सूची भी हमारे पास उपलब्ध है । विद्यार्थियो, बाबू गेनू नामक युवक स्वदेशी का उपयोग करने के आग्रह के कारण अंग्रेजों के विदेशी वस्तुओं के ट्रक को रोकने के लिए ट्रक के नीचे जा गिरा । ट्रक उसके शरीर के ऊपर से चला गया । क्या स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करने के आग्रह के कारण प्राणार्पण करनेवाले बाबू गेनू के राष्ट्रप्रेम की हम कल्पना भी कर सकते हैं ?
४. एक-दूसरे से अवश्य अपनी मातृभाषा अथवा राष्ट्रभाषा में ही संभाषण करें । शुभकामनाएं भी इन्हीं भाषाओं में दें । अंग्रेजी शब्दों का उपयोग करने से बचें । स्वभाषा का अभिमान होने से ही राष्ट्राभिमान जागृत होता है ।