परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार
सनातन के आश्रमों की अद्वितीयता !
‘समाज में, कार्यालय में तथा अन्यत्र अहंकार, झूठ बोलना भ्रष्टाचार इत्यादि का अनुकरण किया जाता है; जबकि सनातन के आश्रमों में सद्गुणों का अनुकरण किया जाता है !’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले
नेताओं और राष्ट्र प्रेमियों में भेद !
‘नेताओं के सभी कार्यों का एकमात्र उद्देश्य होता है, ‘अगले चुनाव में चुनकर आना’, जबकि राष्ट्र और धर्म प्रेमियों को उद्देश्य होता है, ‘राष्ट्र और धर्म को अच्छी स्थिति में लाना ।’
‘स्थूल की तुलना में सूक्ष्म श्रेष्ठ है’, सिद्ध करनेवाला व्यावहारिक स्तर का एक उत्कृष्ट उदाहरण है भारत और पाकिस्तान !
‘भारत पाकिस्तान की तुलना में आकार में अनेक गुना तथा जनसंख्या में बडा होने पर भी छोटा सा पाकिस्तान पिछले ७४ वर्षों से भारत पर भारी पड रहा है । इसका कारण है वहां के नागरिकों की कुरान तथा अल्लाह पर श्रद्धा !’
ईश्वर बुद्धिप्रमाणवादियों को दर्शन क्यों नहीं देते ?
‘जब शिष्य को गुरु की बात सुनने का अभ्यास हो जाता है, तभी शिष्य ईश्वर की बातें सुनता है । ऐसा होने के कारण ऐसे शिष्य को ही ईश्वर दर्शन देते हैं । इसलिए वे बुद्धिप्रमाणवादियों को दर्शन नहीं देते ।’
अति सयाने बुद्धिप्रमाणवादी !
‘साधना कर सूक्ष्म स्तरीय ज्ञान होने पर यज्ञ का महत्त्व समझ में आता है । वह न समझने के कारण अति सयाने बुद्धिप्रमाणवादी बडबडाते फिरते हैं, ‘यज्ञ में वस्तुएं जलाने की अपेक्षा उन्हें गरीबों को दो ।’
– (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले