आतंकवादी ‘जमात’ !
विशेषज्ञों का मानना है कि आनेवाले समय में खाडी देशों के भूगर्भ में स्थित पेट्रोल और डीजल का भंडार खाली हो जाने की संभावना है । इसलिए संपूर्ण विश्व के देश इन ईंधनों के विकल्प के रूप में अन्य स्रोतों की खोज कर रहे हैं । उसमें बिजली, हाइड्रोजन आदि विविध विकल्प सामने आ रहे हैं । दूसरी ओर खाडी देशों में से सऊदी अरब में भविष्य में उनके ईंधन का स्रोत बंद पडा, इसलिए अभी से ही देश की आर्थिक आय के नए स्रोतों की खोज की जा रही है । इसके लिए सऊदी अरब को पर्यटन की दृष्टि से, साथ ही अंतरराष्ट्रीय बाजार के रूप में आगे लाने का प्रयास किया जा रहा है । सऊदी के राजकुमार प्रिन्स सलमान पिछले कुछ वर्षाें से देश की कट्टरतावादी प्रतिमा को बदलने का प्रयास कर रहे हैं । इस्लाम में महिलाओं पर अनेक प्रतिबंध हैं । उसमें सऊदी अरब इस्लाम की दृष्टि से सबसे महत्त्वपूर्ण देश होने से वहां पर भी महिलाओं पर अनेक प्रतिबंध हैं । उनमें ढील देने का प्रयास किया जा रहा है । इस पृष्ठभूमि पर अब इस्लामी कट्टरतावादी धार्मिक संगठन ‘तबलिगी जमात’ पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की गई है । सऊदी की सरकार केवल यहीं पर रुकी नहीं है, अपितु देश की मस्जिदों में शुक्रवार की नमाज के उपरांत वहां की मस्जिदों को और उनके मौलवियों का ‘इस संगठन से कोई भी संबंध न रखने, साथ ही उनके कुकृत्यों और मानसिकता की जानकारी देने के आदेश दिए हैं । इसे विशेष कहना पडेगा । इस्लाम के केंद्रबिंदु देश की ओर से जिस संगठन के विश्व के १५० से भी अधिक देशों में ४० करोड सदस्योंवाले एक इस्लामी धार्मिक संगठन पर प्रतिबंध लगाते समय इस प्रकार जनता को जानकारी देकर उसे इस संगठन के साथ संबंध न रखने के लिए कहा जाना, एक दुर्लभ घटना है । इसका परिणाम संपूर्ण इस्लामी जगत पर होनेवाला है । हिन्दू धर्म में ‘राजा कालस्य कारणम्’ कहा जाता है, सऊदी अरब के इस निर्णय से यह अधिक स्पष्ट होता है, इसे समझना होगा । मुसलमानों में सऊदी अरब का विशेष महत्त्व है । हिन्दुओं के लिए जैसे भारत महत्त्वपूर्ण देश है, वैसे ही मुसलमानों के लिए सऊदी अरब है । ऐसा कहा जाता है कि विश्व के अधिकांश इस्लामी संगठनों के आर्थिक भरण-पोषण का काम भी सऊदी की ओर से किया जाता है । इसलिए सऊदी द्वारा तबलिगी जमात पर लगाया गया प्रतिबंध एक बडी घटना है । इससे सऊदी ने विश्व को यह स्पष्ट संदेश दिया है कि आर्थिक प्रश्न और विकास इस्लाम से भी महत्त्वपूर्ण हैं; इसलिए इसके आगे इस प्रकार के कट्टरतावाद का पोषण नहीं किया जाएगा । ‘समय बदलनेवाला है और उसके अनुसार हमें भी बदलना पडेगा’, यही इसका अर्थ है । यह बात अब संपूर्ण विश्व के इस्लामी देशों और उनके संगठनों ने ध्यान में ली, तो भविष्य में उन पर आनेवाले संकटों से उनकी रक्षा हो सकती है ।
भारत में ‘वहाबी’ और ‘जमाती’, संगठनों पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए !
विश्व में जिस वहाबी विचारधारा के कारण जिहादी आतंकवाद और कट्टरतावाद की घटनाएं होती हैं, उन पर अभी तक कठोर कार्यवाही नहीं की गई है । प्रिन्स सलमान कदाचित् भविष्य में वहाबी विचारधारावाले लोगों पर भी प्रतिबंध लगाएंगे । भारत के विविध मदरसों और मस्जिदों में वहाबी विचारधारा का प्रसार किया जा रहा है । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब सत्ता में आए, तब उन्होंने इन वहाबियों पर लगाम लगाना आरंभ किया । विदेश से पैसे लेनेवाली वहाबी विचारधारा की संस्थाओं पर अनेक प्रतिबंध लगाने से उन्हें मिलनेवाला पैसे रोके जाने से उनका काम बडी मात्रा में ठप्प हो गया है । सऊदी अरब द्वारा जमात पर लगाए गए प्रतिबंध के विषय में भारत में मुसलमान संगठनों और उनके धार्मिक नेताओं की ओर से सम्मिश्रित प्रतिक्रियाएं व्यक्त हुई हैं, तो इस्लामी देशों की ओर से अभी तक कोई भी प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की गई है । भारत के कुछ इस्लामी संगठनों ने सऊदी को इस निर्णय पर पुनर्विचार करने की मांग की है, तो कुछ लोगों ने इस निर्णय को उचित ठहराया है । इस विषय में उन्होंने बताया कि तबलिगी जमात के सदस्य निर्धन और अशिक्षित मुसलमानों में जाकर उनका धार्मिक बुद्धिभ्रम कर उनमें कट्टरता के बीज बोते रहते हैं ।’ कुछ इस्लामी संगठन ही ऐसा बता रहे हैं, तो ‘भारत सरकार को इसकी ओर ध्यान क्यों नहीं दिया ?’, इस पर विचार कर अब भारत को भी सऊदी की भांति भारत में स्थित जमात पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए । सऊदी में आतंकी घटनाएं नहीं होतीं; क्योंकि वहां के नियम अत्यंत कठोर हैं और अधिकांश सऊदी नागरिक धनवान हैं । वैसी स्थिति अन्य इस्लामी देशों में नहीं है, साथ ही भारत जैसे देश में भी नहीं है । भारत में ३ दशकों से इस्लामी आतंकवाद कार्यरत है । यहां के सुरक्षा बल जिहादी आतंकियों को मारते आए हैं; परंतु जिहादी आतंकी बनने हेतु उनमें जो वैचारिक बीजारोपण किया जाता है, उसे रोकने का भारत सरकार को प्रयास करना आवश्यक है । कोरोना काल में तबलिगी जमात द्वारा भारत में चलाई हुई गतिविधियों और हिंसा का भारतीयों ने अनुभव किया था और तभी इस संगठन पर प्रतिबंध लगाने की मांग हुई थी । उस समय जो करना संभव नहीं हुआ, उसे अब करने की आवश्यकता है । जमात पर प्रतिबंध लगाने के लिए अब सऊदी अरब ने जो कारण बताए हैं, भारत को उन्हीं कारणों को बताकर प्रतिबंध लगा देना चाहिए, ऐसा राष्ट्रप्रेमियों को लगता है ।