श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी के अमृतवचन
१. ‘सामने आनेवाला प्रत्येक मनुष्य को उस पल के लिए भगवान ने ही हमारे सामने भेजा है’, ऐसा विचार कर उसके लिए जितना कर पाएं, करना चाहिए । इससे जीवन सरल सुंदर बनता है ।
२. दैवी गुणोंसहित कर्म करने पर साधना होती है ।
३. प्रारब्ध कितना भी कठिन हो, भगवान से आंतरिक सान्निध्य बनाए रख, उचित क्रियमाण का उपयोग कर कर्म करनेसे उस पर मात की जा सकती है ।
– संग्राहक : श्री. दिवाकर आगावणे, रामनाथी, गोवा. (२५.३.२०२०)