परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार
हिन्दुओं अब तो जाग जाओ और इतिहास से शिक्षा लो !
‘कुछ भी अनुचित होने पर हिन्दू प्रत्येक बार ’हमसे कहां न्यूनता रही’, इसका विचार न कर, अंग्रेजी शिक्षाप्रणाली इत्यादि को दोष देते हैं । अंग्रेजों के आने से पहले मुसलमानों ने भी भारत पर राज्य किया । ‘इसके लिए अंग्रेज नहीं, अपितु हिन्दुओं की अनुचित विचारधारा ही कारणीभूत है !’, यह वे ध्यान में नहीं रखते ।’
अपनी अनमोल धरोहर को विस्मृत करनेवाले हिन्दू !
‘हिन्दू धर्मग्रंथों में ज्ञान की अनमोल धरोहर है । उनमें जीवन की सभी समस्याओं के उपाय दिए हैं । तब भी आज हिन्दू पश्चिमी विचारधारा और तकनीक के माध्यम से अपने जीवन की समस्याएं दूर करने के प्रयत्न करते हैं ।’
पिछली कुछ शताब्दियों में हिन्दुओं की दुर्बलता का कारण है धर्मप्रेम का अभाव !
‘बाबर से लेकर अभी तक के काल में छत्रपति शिवाजी महाराज, महाराणा प्रताप इत्यादि कुछ धर्मप्रेमी छोड दें; तो बाकी सभी हिन्दू राजा हिन्दू धर्म के प्रति प्रेमरहित थे । आज भी यही स्थिति है, इसलिए करोडों हिन्दू मुट्ठीभर धर्मांध आक्रमणकारियों से पराजित हो जाते हैं !’
धर्मशिक्षा के अभाव में हुई हिन्दुओं की दुर्दशा !
‘स्वतंत्रता से लेकर आज तक किसी भी दल के राज्यकर्ता और हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन ने हिन्दुओं को धर्मशिक्षा नहीं दी । इस कारण अब हिन्दुओं को ‘रामायण, महाभारत’, ये शब्द ही ज्ञात हैं । उनकी किसी भी शिक्षा का उन्हें स्मरण नहीं होता ।’
– (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले