केरल में ‘हलाल’ मुक्त रेस्तरां खोलने वाली महिला को अज्ञात लोगों द्वारा मारा गया

रेस्टोरेंट की दूसरी शाखा खोलने के लिए धर्मांधों का विरोध

केरल में माकपा की सरकार होते हुए एक महिला व्यवसायी को मारा जाना, यह लज्जास्पद है ! अब इस विषय में मानवाधिकार वाले और महिला संगठन चुप क्यों हैं ?

एर्नाकुलम् (केरल) – यहां ‘हलाल’ पदार्थ नहीं है ‘नंदूज किचन’ नाम का रेस्तरां खोलने वाली तुशारा अजित  पर २५ अक्तूबर के दिन आक्रमण कर उसे मारा गया । तुशारा ने इस वर्ष जनवरी माह में ही यह रेस्टोरेंट खोला था । इस रेस्तरां में केवल हलाल मुक्त पदार्थ मिलते हैं, उन्होंने बाहर बोर्ड लगाकर उसमें लिखा है, ‘हलाल भोजन यहां प्रतिबंधित है ।’ इस कारण अनेक मुसलमानों ने उनके रेस्तरां पर आपत्ति जताई थी । तुशारा रेस्तरां की दुसरी शाखा खोलने वाली थीं । इस कारण उनको धर्मांधों द्वारा धमकियां मिलने लगी थीं ।

इस आक्रमण का भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के. सुरेंद्रन ने ट्वीट कर निषेध व्यक्त किया है । उन्होंने कहा कि, यह घटना तालिबानी कृति है । मैं केरल के लोगों को ‘हलाल’ का बहिष्कार करने का आवाहन करता हूं ।

‘हलाल’ अर्थात क्या ?

‘झटका सर्टिफिकेशन अथॉरिटी’ के अध्यक्ष रवि रंजन सिंह ने बताया कि, हिन्दू, सिख आदि भारतीय धर्मों में ‘झटका’ पद्धति से प्राणियों की हत्या की जाती है । इसमें प्राणियों की गर्दन एक ही बार में काटी जाती है । इस कारण प्राणियों को कम मात्रा में कष्ट होता है । इसके विपरीत हलाल पद्धति में प्राणियों के गले की नस काटी जाती है और उसे छोड दिया जाता है । इस कारण बडी मात्रा में रक्त बहता है और बाद में उस प्राणी की तडप तडप कर मृत्यु होती है । इन प्राणियों की बलि देते समय उनका चेहरा मक्के की दिशा में किया जाता है । साथ ही यह काम गैरमुसलमानों को नहीं दिया जाता है । आज ‘मॅकडोनल्ड’ और ‘लिशियस’ जैसी कंपनियां केवल हलाल मांस की ही बिक्री कर रही हैं । साथ ही ऐसे मांस से बनाए पदार्थ भी बेचे जाते हैं ।