किसानों को आंदोलन करने का अधिकार है ; परंतु, वे रास्तों को रोक नहीं सकते ! – सर्वोच्च न्यायालय ने किसानों को फटकारा 

नई दिल्ली – “आपको (किसानों को) किसी भी पद्धति से विरोध करने का अधिकार हो सकता है ; परंतु, इस प्रकार से रास्ते बंद नहीं किए जा सकते”, इन शब्दों में सर्वोच्च न्यायालय ने किसान संघों को फटकार लगाई । इसके साथ, उन्होंने उन्हें तीन सप्ताह में आंदोलन पर अपनी भूमिका स्पष्ट करने का भी आदेश दिया । किसान संगठन केंद्रीय कृषि अधिनियमों के विरुद्ध दिल्ली की सीमाओं पर लगभग ११ महीने से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं । नोएडा क्षेत्र की रहने वाली मोनिका अग्रवाल ने सर्वोच्च न्यायालय में जनहित याचिका प्रविष्ट कर शिकायत की है, कि दिल्ली सीमा पर प्रदर्शन कर रहे किसानों के कारण यातायात को भारी अवरोध हो रहा है । (नागरिकों को ऐसी शिकायत प्रविष्ट करने के लिए न्यायालय क्यों जाना पडता है ? प्रशासन, पुलिस एवं सरकार के यह ध्यान में क्यों नहीं आता ? अथवा वे जानबूझकर इसे अनदेखा कर रहे हैं तथा लोगों को कष्ट सहन करने के लिए बाध्य कर रहे हैं ? – संपादक) याचिका में आंदोलन कर रहे किसानों को रास्तों से हटाने की भी मांग की गई है ।

इससे पूर्व प्रविष्ट एक याचिका पर सुनवाई के समय, ‘किसानों के आंदोलन के कारण, दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर यातायात को भारी अवरोध हो रहा है । इस प्रकार, यातायात को अवरोध नहीं किया जा सकता है । केंद्र एवं उत्तर प्रदेश सरकार को इसका समाधान निकालना चाहिए’ ; ऐसा सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया था । ( ऐसा बताने के पश्चात भी सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही है, यह गंभीर बात है । लोगों को लगता है, कि न्यायालय को इस पर ध्यान देना चाहिए ! – संपादक)