‘एसएसआरएफ’ के साधकों द्वारा दूरदर्शन पर प्रसारित धार्मिक धारावाहिक ‘महाभारत’ में श्रीकृष्ण की भूमिका करनेवाले एक सुप्रसिद्ध अभिनेता, इस धारावाहिक के निर्देश और संहितालेखिका से हुई भावस्पर्शी भेंट !
मार्च २०२१ में ‘एसएसआरएफ’ के साधक श्री. शॉन क्लार्क (आध्यात्मिक स्तर ६४ प्रतिशत) और उनकी पत्नी श्रीमती श्वेता क्लार्क ने दूरदर्शन पर प्रसारित धार्मिक धारावाहिक ‘महाभारत’ के अभिनेता, निर्देशक और संहितालेखिका से मुंबई में भेंट की । श्री. शॉन एवं श्रीमती श्वेता क्लार्क ने जब उन्हें साधना के विषय में जानकारी दी, तब उन्होंने साधना हेतु प्रयास करने की तैयारी दर्शाई ।
१६ से ३० सितंबर २०२१ के अंक में हमने धारावाहिक ‘महाभारत’ के अभिनेता से हुई भेंटवार्ता में श्री. शॉन एवं श्वेता क्लार्क को उनके संदर्भ में प्रतीत कुछ विशेषतापूर्ण सूत्र देखे । आज हम उसका शेष भाग देखेंगे ।
३. अभिनेता द्वारा अध्यात्म में प्रगति करने हेतु आवश्यक साधना के विविध चरणों के विषय में पूछे जाने पर साधकों द्वारा उन्हें उस विषय में बताया जाना
अभिनेता : अध्यात्म में प्रगति करने हेतु आवश्यक साधना के चरण कौनसे हैं ?
श्री. शॉन क्लार्क / श्रीमती श्वेता क्लार्क : आध्यात्मिक प्रगति होने हेतु ‘स्वभावदोष एवं अहं का निर्मूलन, नामजप एवं सत्सेवा’, ये साधना के प्रमुख चरण हैं । आप ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ।’ नामजप करना आरंभ कर सकते हैं ।
अभिनेता : मैं यह नामजप करूंगा ।
४. अभिनेता द्वारा ‘अभिनय के व्यवसाय में भगवान से सान्निध्य कैसे साधना चाहिए ?’, यह पूछे जाने पर साधकों ने उन्हें ‘एस्.एस्.आर्.एफ.’ के अध्यात्म से संबंधित ग्रंथों का अध्ययन करने के लिए बताना
अभिनेता : मुझे ‘अहं निर्मूलन हेतु साधना’ ग्रंथ चाहिए । मैं कला के माध्यम से किस प्रकार साधना अथवा सत्सेवा कर सकता हूं ? अभिनय के व्यवसाय में बहुत रज-तमात्मक वातावरण है तथा इस क्षेत्र के लोग अहंकारी हैं । उससे मेरी कई बार थकान होती है और दिशाहीन लगता है; परंतु यह व्यवसाय ही मेरी जीविका का साधन होने से मैं उसे छोड नहीं सकता । यहां रज-तम का प्रमाण अधिक होने से भगवन से सान्निध्य रखना कठिन होता है । इस व्यवसाय में टिके रहने हेतु क्या करना चाहिए ?
श्री./श्रीमती क्लार्क : आप पहले नामजप और ‘एस्.एस्.आर्.एफ.’ के अध्यात्म के विषय के ग्रंथों का अध्ययन आरंभ कीजिए । इसके लिए ‘एस्.एस्.आर्.एफ.’के जालस्थल पर प्रसारित लेख ही सहायक सिद्ध होंगे । आपको जब संभव होगा, तब आप गोवा स्थित हमारे आश्रम का अवलोकन कीजिए ।
५. परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के अक्षर देकते समय अभिनेता को उस स्थान पर श्वेत प्रकाश दिखाई देना
श्री./श्रीमती क्लार्र्क : परात्पर गुरु डॉक्टरजी ने आपका छायाचित्र देखकर ‘आप सात्त्विक हैं’, ऐसा बताया है ।
(यह बात सुनकर उनकी बहुत भावजागृति हुई ।)
अभिनेता : क्या मुझे परात्पर गुरुदेवजी के दर्शन हो सकेंगे?
श्री./श्रीमती क्लार्क : आपको यह अक्षर देखकर क्या प्रतीत होता है ?
अभिनेता : मुझ पर अनिष्ट शक्तियों का बहुत आवरण होने से मेरी संवेदनक्षमता अल्प है; परंतु इन अक्षरों को देखते समय मुझे उस स्थान पर श्वेत प्रकाश दिखाई दिया ।
आप से मिलकर, साथ ही आपके शोधकार्य के संदर्भ में सुनकर मुझे बहुत हल्का और सकारात्मक लगा । आप दोनों अत्यंत प्रामाणिक हैं; इसलिए मैं आपके साथ खुलेमन से बोल पाया । मेरे लिए इस सकारात्मकता की बहुत आवश्यकता थी । आपने मुझे जो ग्रंथ भेंट किए और जो मार्गदर्शन दिया, उसके लिए मैं अत्यंत कृतज्ञ हूं ।
‘इस अभिनेता ने पूर्वजन्म में साधना की है और वे इस जन्म में आगे के मार्गदर्शन की खोज में हैं ।’, ऐसा हमें लगा । (‘यह उचित है ।’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवलेजी)
६. साधना के प्रति जिज्ञासा रखनेवाले दूरदर्शन के धारावाहिक ‘महाभारत’ के निर्देशक !
‘दूरदर्शन के धारावाहिक ‘महाभारत’ के निर्देशक एक नए धारावाहिक के चित्रीकरण में बहुत व्यस्त होते हुए भी उन्होंने हमें ३ घंटे समय दिया । हमारी भेंट के उपरांत अन्य लोगों ने हमें बताया, ‘‘ये निर्देशक बहुत व्यस्त होते हैं और वे किसी को भी २० मिनट से अधिक समय नहीं देते ।’’ हमारी भेंट के समय उनसे मिलने अन्य भी लोग आ रहे थे; परंतु तब भी उन्होंने हमें समय दिया । हमारा उनसे निम्न संवाद हुआ –
६ अ. निर्देशक द्वारा गुरुकृपायोगानुसार साधना के विविध चरण समझ लेना
निर्देशक : साधना के कौन-कौन से चरण हैं ?
श्री. शॉन क्लार्क / श्रीमती श्वेता क्लार्क : ‘स्वभावदोष-निर्मूलन, अहं-निर्मूलन, नामजप, सत्संग, सत्सेवा, भावजागृति हेतु प्रयास करना, सत् के लिए त्याग एवं प्रीति (निरपेक्ष प्रेम), ये गुरुकृपायोगानुसार साधना के ८ चरण हैं । इस विषय में अधिक जानकारी हेतु आप ‘एसएसआरएफ’ के जालस्थल पर प्रसारित लेख पढ सकते हैं ।
६ आ. निर्देशक द्वारा ‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ की ओर से ली जानेवाली कार्यशाला के लिए रामनाथी आश्रम आने की इच्छा व्यक्त की जाना
निर्देशक : पहले भगवान के प्रति मेरा बहुत विश्वास था; परंतु कुछ समय उपरांत मेरे एक मित्र के प्रभाव के कारण मैं भगवान से दूर गया । आजकल मैं नास्तिक हूं ।
(हनमे (श्री. शॉन एवं श्रीमती श्वेता क्लार्क ने) उन्हें परात्पर गुरुदेवजी की (परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी की) साधना यात्रा के विषय में बताया । गुरुदेवजी की साधना यात्रा सुनकर उनमें साधना के विषय में जिज्ञासा उत्पन्न हुई और उन्होंने साधना करने की इच्छा व्यक्त की ।)
निर्देशक : मैं और इस धारावाहिक के अभिनेता ‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ द्वारा ली जानेवाली कार्यशाला में आएंगे । मुझे आपके द्वारा किया जा रहा आध्यात्मिक शोधकार्य और साधना समझ लेनी है । मुंबई में आपको कुछ सहायता की आवश्यकता हो, तो मैं सहायता कर सकता हूं । आप दोनों हमारे घर आकर कुछ दिन रहिए ।
उन्होंने हमसे अत्यंत प्रेमपूर्वक बात की । वे अत्यंत व्यस्त होते हुए भी हमें छोडने के लिए बाहर तक आए थे ।
‘परात्पर गुरु डॉक्टरजी, आप ही की कृपा से हमें इस सेवा का अवसर मिला । हे गुरुदेवजी, आपके चैतन्य के कारण ही यह सेवा पूर्ण हुई । हमें कुछ नहीं करना पडा । सबकुछ बडी सहजता से होता गया । ‘आप सभी साधकों और समस्त मनुष्यजाति के लिए जो कर रहे हैं’, उसके लिए हम आपके चरणों में कोटि-कोटि कृतज्ञता व्यक्त करते हैं ।’ (समाप्त)
– श्री. शॉन (आध्यात्मिक स्तर ६४ प्रतिशत) एवं श्रीमती श्वेता क्लार्क, सनातन आश्रम, रामनाथी, गोवा (२१.७.२०२१)
एसएसआरएफ के साधकों द्वारा दूरचित्रवाहिनी की धारावाही ‘महाभारत’ में श्रीकृष्ण की भूमिका निभानेवाला एक सुप्रसिद्ध अभिनेता, धारावाही के निर्देशक और संहितालेखक से भेंट करने के उपरांत आज के समय में उनके द्वारा किए जा रहे साधना के प्रयास ! १. अभिनेता इस अभिनेता ने बताया, ‘‘आजकल मैं आपके द्वारा भेंट किए गए साधना से संबंधित ग्रंथों का वाचन कर रहा हूं, साथ ही मैंने सनातन-निर्मित श्रीकृष्ण का चित्र घर में लगाया है ।’’ उन्होंने ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ नामजप करना आरंभ किया है, साथ ही वे घर में भी ध्वनिमुद्रित नामजप चलाते हैं । हम उन्हें ‘एसएसआरएफ’ द्वारा प्रकाशित लेख और चलचित्र भेजत हैं, जिसका वे सकारात्मक प्रत्युत्तर करते हैं । उनमें परात्पर गुरु डॉक्टरजी से मिलने की बहुत इच्छा है । २. निर्देशक इस निर्देशक ने ‘गुरुकृपायोगानुसार अष्टांग साधना’ विषय का ग्रंथ मांगा है । उन्होंने ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ नामजप करना आरंभ किया है । उनमें रामनाथी आश्रम आने की तीव्र इच्छा है तथा उन्हें परात्पर गुरु डॉक्टरजी के प्रति बहुत सम्मान है । ३. संहितालेखिका इस संहितालेखिका ने ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ एवं ‘श्री गुरुदेव दत्त’ नामजप करना और नामजपादि अन्य उपचार करना आरंभ किया है । उन्हें साधना के सभी चरणों के प्रति समझ लेने और उनका क्रियान्वयन करने की उत्सुकता है । उनकी सत्सेवा करने की भी तैयारी है । वे उन्हें बताए जानेवाले सूत्रों का स्वीकार करने की स्थिति में होती हैं ।’ (‘बहुत अच्छा !’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवलेजी) – श्री. शॉन (आध्यात्मिक स्तर ६४ प्रतिशत) एवं श्रीमती श्वेता क्लार्क, सनातन आश्रम, रामनाथी, गोवा. (२१.७.२०२१) |