परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी की आध्यात्मिक उत्तराधिकारी श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी के जन्मदिन के उपलक्ष्य में उनके चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम !
श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी के जन्मदिन के निमित्त…
चोटीला (गुजरात) के आदिशक्ति का रूप होनेवाले श्री चंडी-चामुंडा देवी का श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी ने लिए दर्शन का वृत्तांत !
१. चोटीला (गुजरात) स्थित श्री चंडी-चामुंडा देवी के दर्शन करने के विषय में सप्तर्षियों ने जीवनाडीपट्टी द्वारा बताए सूत्र
१ अ. ‘३०.६.२०२१ को सप्तर्षियों ने पू. डॉ. ॐ उलगनाथन्जी के माध्यम से बताया, ‘‘९.७.२०२१ को (अमावास्या को) श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी गुजरात में स्थित ‘चोटीला’ नामक स्थान पर जाएं । इसी दिन रामनाथी (गोवा) स्थित सनातन के आश्रम में ‘श्री चामुंडादेवी याग’ का आरंभ करें और व्यासपूर्णिमा (गुरुपूर्णिमा) को इस याग की पूर्णाहुती करें । व्यासपूर्णिमा के दिन श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) गाडगीळजी उत्तराखंड राज्य के बद्रीनाथ के निकट ‘माणा’ गांव में स्थित ‘व्यास गुफा’ का दर्शन लें ।’’
१ आ. सप्तर्षियों ने कहा, ‘‘चोटीला गांव के पर्वत पर ‘चंडी-चामुंडा’ नाम की देवियों की मूर्ति है । यह देवियां दिखने में भले ही दो हो, तब भी वे एक (एकरूप) ही है । चंडी और चामुंडा आदिशक्ति के रूप है । परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी की आध्यात्मिक उत्तराधिकारी श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) सिंगबाळजी और जिस आदिशक्ति ने ३ सहस्र वर्षाें पूर्व राजस्थान के ओशियां गांव में ‘सत्चित्देवी’ के (सच्चियामाता का) रूप धारण किया, वही अब श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) सिंगबाळजी और श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) गाडगीळजी के रूप में पृथ्वी पर अवतरित हुई हैं । श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी और श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी भी दो (रूप) दिखाई दें, तो भी वे भीतर (अंतर्मन) से एक ही हैं ।’’
२. चोटीला गांव स्थित श्री चंडी-चामुंडा देवी का मंदिर
राजकोट शहर से ४० कि.मी. आगे कर्णावती (अहमदाबाद)-राजकोट महामार्ग पर चोटीला गांव स्थित है । इस गांव के एक पर्वत पर श्री चंडी-चामुंडा देवी का मंदिर है । ७०० सीढियां चढकर मंदिर में जाना पडता है ।
३. चोटीला स्थित श्री चंडी-चामुंडा देवी के विषय में मंदिर के मुख्य महंत सचिन देवगिरी महाराज ने बताई जानकारी
३ अ. चोटीला स्थित श्री चंडी-चामुंडा देवी
३ आ. अन्य सूत्र
१. प्रतिवर्ष शारदीय नवरात्री की अष्टमी तिथि पर यहां नवचंडी याग होता है । इस याग के समय पंचक्रोशी के लाखों भक्त यहां आते हैं ।
२. प्रतिदिन सुबह और सायंकाल देवी की आरती होती है । उस समय देवी के मंदिर की छत्री अपनेआप हिलती है और उस समय ‘प्रत्यक्ष देवी भीतर आ रही है’, ऐसा अनुभव होता है । उस समय पुजारियों का शरीर भी थरथराता है ।
३. देवी को प्रतिदिन अभिषेक नहीं किया जाता; परंतु जिस दिन देवी को अभिषेक करना हो, उसके एक दिन पहले रात को देवी पुजारियों के स्वप्न में आकर दूसरे दिन स्नान कराने के लिए सुझाती है ।
४. प्रतिदिन रात ८ बजे मंदिर बंद होता है । तदुपरांत पहाडी पर पुजारी और अन्य कोई भी नहीं रूकता ।’
४. श्री चंडी-चामुंडा देवी के दर्शन करते हुए घटित हुई विलक्षण दैवी घटनाएं !
४ अ. ९.७.२०२१ को सायं ६ बजे हम पर्वत की तली तक पहुंच गए । तब तक वहां वर्षा नहीं थी । श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी गाडी से उतरनेवाली थी कि, तीव्र मूसलाधार वर्षा आरंभ हो गई । एक घंटे के उपरांत भी वर्षा अल्प नहीं हुई । इस विषय में पू. डॉ. ॐ उलगनाथन्जी को सूचित करने पर उनके माध्यम से सप्तर्षियों ने कहा, ‘देवी की इच्छा है कि आज और कल श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी चोटीला गांव में अर्थात श्री चामुंडादेवी के क्षेत्र में निवास करें ।’ जैसे चामुंडादेवी कह रही हो, ‘इस वर्षा द्वारा मैं श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी का स्वागत करती हूं । आज निवास करें और कल दर्शन हेतु आएं ।’ सप्तर्षियों के बताएं अनुसार हमने देवी को मानस नमस्कार किया और उस रात को चोटीला गांव में निवास किया ।
४ आ. सप्तर्षियों के बताए अनुसार दूसरे दिन सायं ५ से ७ के बीच देवी के मनोहारी दर्शन करते ही श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी की भावजागृती हुई ।
४ इ. ‘श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हेतु प्रार्थना करने आई है’, यह ज्ञात होते ही मंदिर के मुख्य महंत सचिन देवगिरी महाराज ने स्वयं श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी को देवी के गर्भभृह के निकट के कक्ष में बुलवाया और देवी का पूर्ण इतिहास बताया । उन्होंने कहा, ‘‘माताजी, ‘आप एक स्त्री होकर भी हिन्दू राष्ट्र हेतु निरंतर यात्रा कर रही हैं’, यह एक आश्चर्य
है । ‘आपकी सभी मनोकामनाएं श्री चंडी-चामुंडा देवी पूर्ण करेंगी ।’’
४ ई. देवी के दर्शन उपरांत वर्षा के चिन्ह दिखने लगे । श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी के गाडी में बैठते ही मूसलाधार वर्षा आरंभ हुई । उस क्षण हमें लगा कि ‘वरुणदेव केवल श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी के दर्शन पूर्ण होने की प्रतीक्षा कर रहे थे ।’
४ उ. विगत दो दिनों में हुई घटनाओं के विषय में पू. डॉ. ॐ उलगनाथन् जी को बताने पर उन्होंने कहा, ‘‘श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी और श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी देवी ही हैं । देवी से मिलने देवी (श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी) गई थी । देवी ने इस भेंट का आनंद वर्षा के रूप में व्यक्त किया । यह दैवी घटना है, जिसका उल्लेख इतिहास में होगा । सामान्य वर्षा और देवी ने करवाई वर्षा में भेद है । यह ‘आनंद की वर्षा’ है ।’’
५. प्रार्थना
‘गुरुदेवजी, ‘आप और श्रीसत्शक्ति (सौ.) बिंदा सिंगबाळजी एवं श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी एक ही है । ‘हमें इस जन्म में आपके दर्शन, आपके साथ सेवा करने का सौभाग्य तथा आपका सत्संग प्राप्त हुआ । आपने ही हमसे साधना करवाई है’, इस हेतु आपके चरणों में कोटी-कोटी कृतज्ञता । ‘हम अज्ञानी जीवों से आप ही साधना करवा लीजिए’, ऐसी तीनों गुरुओं के चरणों में प्रार्थना !’
– श्री. विनायक शानभाग, चोटीला, गुजरात. (१०.७.२०२१)
चोटीला स्थित श्री चामुंडादेवी के दर्शन उपरांत ‘श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी और श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी श्री चंडी-चामुंडादेवी है’, ऐसा लगना !‘चोटीला स्थित श्री चामुंडादेवी के अनेक जालस्थलों (वेबसाईट) पर छायाचित्र उपलब्ध है । उनमें से दो छायाचित्र देखने पर ‘चंडी-चामुंडा यह दोनो देवी अन्य कुई नहीं अपितु हम निरंतर जिनके साथ रहते है श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी आणि श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी ही हैं’, ऐसा लगा । छायाचित्र क्रमांक २ में श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी और श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी दोनों एक-दूसरे की बगल में बैठी है । इस छायाचित्र की ओर देखने पर ‘चोटीला स्थित चंडी-चामुंडा देवी यही हैं’, ऐसा लगता है । श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी और श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी के संदर्भ में भी हम साधकों को इसकी प्रतिती होती है ।’ – श्री. विनायक शानभाग, चोटीला, गुजरात. (१०.७.२०२१) |