‘रावण लीला’ चलचित्र के निर्माताओं को मानहानि का नोटीस; बिना शर्त क्षमा मांगने की मांग !
चित्रपट में श्रीराम और रावण की अनुचित पद्धति से तुलना कर हिन्दुओं की धार्मिक भावनाएं आहत की !
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उपरोक्त चित्र प्रकाशित करने का उद्देश्य किसी की भी धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाना नहीं अपितु जनजागरण हेतु यह चित्र प्रकाशित किया गया है । – संपादक
ठाणे, १४ सितंबर (वार्ता.) – १ अक्टूबर को प्रदर्शित होनेवाली ‘रावण लीला’ इस चलचित्र का शीर्षक, उसका फलक, उसके ‘ट्रेलर’ के (चलचित्र प्रदर्शित होने के पहले दिखाए जानेवाला कुछ मिनिटों का विज्ञापन) कुछ संवाद, साथ ही उसकी ‘टैगलाईन’ (चलचित्र का सारांश अथवा आशय स्पष्ट करनेवाला वाक्य) में श्रीराम और रावण की अनुचित पद्धति से तुलना की गर्इ है । (आज हिन्दू संगठित न होने से चलचित्र निर्माता, निर्देशक, कलाकार इत्यादि हिन्दू देवताओं का अपमान करने का साहस करते हैं । ‘चलचित्र को विरोध होने पर, नकारात्मक ही सही; पर ख्याति मिलती है’, ऐसी चलचित्र निर्माता और निर्देशकों की विचारधारा दिखाई देती है । यह स्थिति बदलने के लिए हिन्दुओं को संगठित तथा वैधानिक मार्ग से प्रयास करना चाहिए ! – संपादक) श्रीराम के विषय में भ्रांतियां फैलाने तथा रावण का महिमामंडन करने, साथ ही झूठा, मानहानिकारक तथा आपित्तजनक चित्रण करने के लिए चलचित्र के लेखक, निर्देशक और निर्माताओं को अंबरनाथ के धर्मप्रेमी श्री. कमलेश गुप्ता ने १३ सितंबर को नोटीस भेजा है । इस नोटिस द्वारा उन्होंने मांग की ‘इस चलचित्र से संबंधित प्रसंग और संवाद निकालें जाएं और बिना शर्त क्षमा मांगे ।’ श्री. गुप्ता की ओर से अधिवक्ता प्रकाश साळसिंगीकर ने यह नोटीस भेजा ।
नोटीस में प्रस्तुत चलचित्र के आपत्तिजनक सूत्र
१. इस चित्रपट की ‘टैगलाईन’ ‘राम में क्यों तू ने रावण को देखा ?’ ऐसी है । रावण ने दुष्कर्म किए थे, जबकि भगवान विष्णु के अवतार श्रीराम ने आदर्श धर्माचरण की सीख संपूर्ण विश्व को दी । इसलिए यह ‘टैगलाईन’ जनसामान्य को अनुचित संदेश देती है ।
२. हिंदु धर्म में श्रीराम के आदर्श चरित्र को असाधारण महत्त्व प्राप्त है । श्रीराम के जीवन पर ‘रामलीला’ नामक नाट्यसंकल्पना उत्तर भारत में विख्यात तथा हिन्दुओं पर संस्कार करनेवाली है । इसी पृष्ठभूमि पर रावण का महिमामंडन करने के लिए ‘रावण लीला’ नामवाला चलचित्र पवित्र ‘रामलीला’ नाट्यसंकल्पना पर आघात करनेवाला है ।
३. या चलचित्र के ‘ट्रेलर’ में रावण और श्रीराम की भूमिका करनेवाले कलाकारों के संवादों द्वारा रावण का अच्छा पक्ष प्रस्तुत करने का, साथ ही ‘उसके द्वारा किए गए कार्य किस प्रकार उचित थे’, यह दर्शाने का प्रयास किया गया है । इसके विपरित श्रीराम की भूमिका करनेवाले कलाकार को ‘मैं केवल परमेश्वर हूं; इसलिए मेरा जयजयकार किया जाता है’, ऐसा कहते हुए दिखाया गया है । इस ‘ट्रेलर’ में अन्य त्रुटिपूर्ण, अपमानजनक और देवताओं का अपमान करनेवाले दृश्य भी दिखाए गए हैं । इससे समाज में अनुचित संदेश प्रचारित हुआ है, जिस कारण हिन्दुओं की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं । चलचित्र में रावण का महिमामंडन कर मर्यादापुरुषोत्तम श्रीराम की छवि कलंकित करने का प्रयास किया गया है । (हिन्दुओं के श्रद्धास्थान पर आक्रमण कर हिन्दुओं के मन में देवताओं की छवि कलंकित करने के इस षड्यंत्र को हिन्दू वैधानिक मार्ग से विरोध करें ! – संपादक)
४. चलचित्र का फलक, शीर्षक और ‘टैगलाईन’ में श्रीराम और रावण की पूर्णत: अयोग्य और अश्लील पद्धित से तुलना की गई है । नोटीस द्वारा मांग की गई है कि चलचित्र से आपित्तजनक विधान और संवाद हटाए जाएं, साथ ही चलचित्र का नाम और ‘टैगलाईन’ भी निकाल दी जाएं ।
५. चलचित्र के निर्देशक हार्दिक गज्जर, निर्माता धवल गाडा, अक्षय गाडा, पार्थ गज्जर, रिचा सचन, साथ ही संवाद लेखक और कलाकार इन सभी पर आरोप लगाए गए हैं । नोटीस में कहा गया है कि चलचित्र का विषय, पटकथा इत्यादि अनुचित पद्धति से प्रस्तुत की गई है, जो भ्रमित करनेवाली है ।