पश्चिमी संस्कृति को स्वीकारकर विनाश की खाई में बढता समाज !
परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार
पूर्व की पीढियों में वैचारिक मतभेद (जनरेशन गैप) नहीं था । प्रत्येक पीढी पूर्व की पीढियों से समरस होती थी । दादाजी, परदादाजी, पोते, परपोते एक साथ रहते थे । हिन्दुओं ने पश्चिमी संस्कृति को अपनाया, इस कारण २ पीढियों में अर्थात माता-पिता एवं बेटे-बहू भी एक-दूसरे के साथ समरस नहीं हो सकते । अब पति-पत्नी की भी आपस में नहीं बनती । विवाह के उपरांत कुछ ही समय में उनका विवाह-विच्छेद हो जाता है !’
– (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले