अमेरिकी सेना की अफगानिस्तान से वापसी और भारत की सुरक्षा !
१. अमेरिका की अफगानिस्तान से वापसी के उपरांत पाकिस्तान द्वारा भारत में आतंकवाद को पुनर्जीवित करने की संभावना होने से भारत की समस्याओं में वृद्धि होना
‘नवंबर २००१ में अमेरिका पर आतंकवादी आक्रमण हुआ था । तदुपरांत अमेरिका ने अफगानिस्तान में तालिबानियों के विरुद्ध युद्ध आरंभ किया । इसलिए विगत २० वर्षाें से अमेरिका की सेना वहां नियुक्त थी । अब अमेरिका ने सेना को वापस बुलाने का निर्णय लिया है । इतने वर्षाें में अमेरिका ने वहां की सेना के लिए बडी मात्रा में व्यय (खर्च) किया । इस कालावधि में उनके ढाई हजार से अधिक सैनिक भी वहां मारे गए ।
‘पूरे विश्व की रक्षा हम ही क्यों करें ?’, ऐसा अमेरिका का विचार है । सितंबर में अमेरिका अफगानिस्तान से वापस जाएगा । अमेरिका ने तालिबान को बताने का प्रयास किया कि ‘वहां की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में सहभागी होकर राज्य करें; परंतु इसिस अथवा अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी दल को आश्रय न दें ।’ ऐसा होते हुए भी तालिबान अमेरिका की नहीं सुनेगा । इतने वर्षाें में अफगानिस्तान में बडी मात्रा में रक्तपात हुआ है । वहां पश्तुन, ताजिक, उज्बेकी और हजारा इत्यादि जमात हैं । उन्हें एक गुट द्वारा नियंत्रित करना कठिन है । वर्तमान में अफगानिस्तान के लगभग ६० प्रतिशत भूभाग पर तालिबान का नियंत्रण है तथा २५ से ३० प्रतिशत भूभाग पर अफगानी सरकार का नियंत्रण है । ‘अमेरिका जब वहां से जाएगा, तब क्या अफगानी सेना देश को नियंत्रित कर पाएगी ?’, यह समय ही बताएगा ।
संक्षेप में, अफगानिस्तान को कोई भी नहीं समझ सकता । अफगानिस्तान पर इससे पूर्व ब्रिटेन, भूतपूर्व सोवियत संघ और अमेरिका, इन ३ महाशक्तियों ने नियंत्रण प्राप्त करने का प्रयास किया था; परंतु किसी को भी सफलता नहीं मिली । अमेरिका के हाथों भी कुछ नहीं लगा । अमेरिका अफगानिस्तान से अपना बोरिया-बिस्तर लपेट रहा है, इससे पाकिस्तान को आनंद हुआ है । अमेरिकी गुप्तचर विभाग के अनुसार, अमेरिका के वापस जाने पर वहां तालिबान का राज्य होगा । इसका लाभ उठाकर पाकिस्तान भारत में आतंकवाद पुनर्जीवित करने का प्रयास
करेगा । इसलिए भारत की समस्याओं में वृद्धि होगी ।
२. अमेरिका की अफगानिस्तान से वापसी से भारत को सतर्क रहना आवश्यक !
इस पृष्ठभूमि पर भारत को अमेरिका से विनती करनी चाहिए कि वहां से वापसी करने पर भी ड्रोन्स और जहाजों के माध्यम से अमेरिका अफगानिस्तान की सेना की सहायता करता रहे । ऐसा करने से तालिबान के विरुद्ध लडने के लिए बल मिलेगा और अफगानिस्तान आतंकवादियों के लिए स्वर्ग नहीं बनेगा । भारतीय सेना तालिबानी आतंकवादियों के विरुद्ध लडेगी; किन्तु उससे बडी मात्रा में रक्तपात होने की संभावना है । अफगानिस्तान से वापसी करने पर अमेरिका उसकी शक्ति चीन के विरुद्ध उपयोग करेगा । वह दक्षिण चीनी समुद्र पर ध्यान केंद्रित करेगा ।’
– (सेवानिवृत्त) ब्रिगेडियर हेमंत महाजन, पुणे, महाराष्ट्र.