बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में हिन्दू धर्म के विषय के अभ्यासक्रम का प्रारंभ !
हिन्दू धर्म की विशेषताएं और परंपराओं पर आधारित अभ्यासक्रम का समावेश
बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की अभिनंदनीय कृति ! इस प्रकार के अभ्यासक्रम देश के अन्य विश्वविद्यालयों द्वारा भी चालू करना आवश्यक । इस प्रकार सच्चे अर्थ में नीतिमान और चरित्रसंपन्न पीढी निर्माण होगी ! – संपादक
काशी- बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (बी.एच.यू.) अभ्यास केंद्र में हिन्दू धर्म और संस्कृति पर आधारित अभ्यासक्रम प्रारंभ होने वाला है । इस कारण इस विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को अब वेद, पुराण, रामायण, महाभारण, दर्शन, स्थापत्य, लोकनाट्य, ज्ञान मिमांसा, साथ ही हिन्दू धर्म की विशेषता और परंपरा पर आधारित अभ्यासक्रम का लाभ मिलेगा । यह अभ्यासक्रम इसी २०२१-२२ के शिक्षा सत्र से चालू होने वाला है ।
BHU To Offer Degree Course On Hinduism For The First Time; Hindu Knowledge Traditions, Arts and Science To Be Taughthttps://t.co/nuYpHPyQLJ
— Swarajya (@SwarajyaMag) August 19, 2021
१. इस वर्ष के आरंभ में हुई एक बैठक में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (बी.एच.यू.), जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जे.एन.यू.). आई.आई.टी. कानपुर के विद्वान, साथ ही देशभर के अन्य विद्वानों ने ‘बी.एच.यू.’ में हिन्दू धर्म के विषय में शिक्षा देने का निर्णय लिया था ।
२. इस अभ्यासक्रम को कला शाखा के भारत अध्ययन केंद्र ने प्रारंभ किया है । इसके अंतर्गत भारत के ही नहीं, तो विश्वभर के विद्यार्थियों को सनातन हिन्दू धर्म की प्राचीन विद्या, परंपरा, युद्ध कुशलता और धर्म-विज्ञान और वैदिक परंपरा में निपुण किया जाएगा । २ वर्ष के इस अभ्यासक्रम के लिए ४० जगह निर्धारित की गई हैं । इसके लिए ‘ऑनलाइन’ आवेदन भरने की अंतिम तिथि ७ सितंबर होकर प्रवेश परीक्षा ३ अक्टूबर को रखी गई है ।
३. इस अभ्यासक्रम के लिए विश्वविद्यालय में अत्याधुनिक कक्ष तैयार किए गए हैं । इसमें गुरूकुल शिक्षा पद्धति के साथ प्राचीन धर्मशास्त्र के व्यावहारिक पहलुओं पर गहराई और प्रायोगिक अध्ययन सिखाया जाने वाला है ।
४. अध्ययनक्रम से संबंधित अध्ययन समिति में आने वाले प्रा. राकेश उपाध्याय के अनुसार, भारत में हिन्दू धर्म और शास्त्र इनके विषय में मनानुसार व्याख्या की जाती है । जिनको संस्कृत भाषा की गंध नहीं, ऐसे इतिहासकार भी हिन्दू धर्म, शास्त्र और सनातन परंपरा की व्याख्या कर रहे हैं । उनमें से अनेकों को हिन्दू धर्म समझकर लेने की अपेक्षा उसका गलत प्रचार करने में अधिक मजा आता है । इस अभ्यासक्रम के माध्यम से हिन्दू धर्म को केंद्र स्थान में रखकर प्राचीन शास्त्र, योग, ज्ञान, सैन्य और शस्त्र परंपरा की शिक्षा देने के बाद उसका विश्वभर में प्रसार होगा । इस उपक्रम के कारण हिन्दू धर्म की विशेषता समझने के बाद आने वाली पीढी को भी गर्व अनुभव होगा ।