(कहते हैं) ‘गैर-ब्राह्मणों की नियुक्ति करते समय, पूर्व पुजारियों को नहीं हटाया जाएगा एवं यदि कहीं पर ऐसा किया गया, तो उस पर कार्रवाई की जाएगी !’ – द्रमुक सरकार
तमिलनाडु सरकार द्वारा मंदिरों में गैर-ब्राह्मण पुजारियों की नियुक्ति का प्रकरण !
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चेन्नई (तमिलनाडु) – द्रविड मुनेत्र कळघम के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन, तमिलनाडु के मंदिरों में गैर-ब्राह्मण पुजारियों की नियुक्ति के निर्णय ने विवाद खडा कर दिया है । स्टालिन ने विधायिका से कहा, “हमने यह निर्णय सामाजिक न्याय देने की दृष्टि से किया है ।” सभी जातियों के नए पुजारियों की नियुक्ति के समय मंदिर में वर्तमान में सेवा कर रहे किसी भी पुजारी को हटाया नहीं जाएगा और यदि ऐसा कोई पाया जाता है, तो संबंधित के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी ।
Row erupts after #TamilNadu govt appoints non-#Brahmins priests in temples, CM #MKStalin clarifieshttps://t.co/t7njg5hKqV
— DNA (@dna) August 18, 2021
१. मुख्यमंत्री स्टालिन से पहले, ‘हिन्दु रिलीजिअस ॲण्ड चॅरीटेबल एन्डोव्हमेंट’ के (हिन्दू धार्मिक और धर्मार्थ व्यवस्थापन) राज्य मंत्री, पी.के. शेखर बाबू ने कहा था, कि ब्राह्मण पुजारियों को लक्ष्य नहीं किया जाएगा । मेरे विभाग के अंतर्गत आने वाले सभी मंदिरों में सभी जातियों के पुजारियों की नियुक्ति करते समय किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं किया गया है ।
२. कुछ ब्राह्मण पुजारियों ने आरोप लगाया है, कि १६ अगस्त को हमारी सेवा अचानक समाप्त कर दी गई और हमारे स्थान पर अन्य पुजारियों को नियुक्त किया गया है । इस आरोप पर पी.के. शेखर बाबू ने कहा, कि कुछ हिन्दुत्ववादी शक्तियां नहीं चाहतीं कि दूसरे लोग जीवन में आगे बढें । वे ऐसा अभियान चला रहे हैं ।
३. मदुरई में मीनाक्षी अम्मन मंदिर में पी. महाराजन और एस. अरुण कुमार गैर-ब्राह्मण पुजारी हैं । उन्होंने २००७ में पुजारी बनने का प्रशिक्षण लिया था ।
४. तमिलनाडु सरकार द्वारा नियुक्त पुजारियों में से २४ ने पुजारी बनने के लिए राज्य सरकार के प्रशिक्षण केंद्रों से प्रशिक्षण प्राप्त किया है, जबकि अन्य ३४ ने अन्य संस्थाओं से पुजारी बनने का प्रशिक्षण प्राप्त किया है ।
वर्ण जाति के आधार पर नहीं, योग्यता के आधार पर होते हैं ! – डॉ सुब्रह्मण्यम स्वामी
आगम शास्त्र का अध्ययन करने वाला ब्राह्मण बन जाता है । वर्णों की अवधारणा को जानने के लिए गीता का अध्ययन करें । भगवान कृष्ण के अनुसार, वर्ण जाति के आधार पर नहीं, गुणों पर आधारित हैं । इस प्रकरण पर सुब्रह्मण्यम स्वामी ने ऐसा कहा है ।