नन और पादरी के वेतन में से कर लेना चाहिए ! – केरल उच्च न्यायालय का आदेश
धारा २५ धर्म के आधार पर कर में कोई भी छूट नहीं दी जाती है !
प्रत्येक कमाने वाले भारतीय को कर भरना ही चाहिए । इस कर से ही देश का कामकाज चलाया जाता है । इसके लिए पादरी और नन अलग कैसे हो सकते हैं ? ‘उन्हें कर नहीं देना है, तो उन्हें इस देश में नहीं रहना चाहिए’, ऐसा किसी के कहने पर गलत क्या है ? – संपादक
तिरूअनंतपुरम् (केरल) – केरल उच्च न्यायालय ने एक याचिका पर सुनवाई करते समय, ‘संविधान की धारा २५ के अनुसार धर्म के आधार पर किसी को भी कर देने से छूट नहीं दी जा सकती है । यह धारा धर्म स्वतंत्रता का हनन नहीं करती है । नन और पादरी के वेतन से टी.डी.एस. (कर) काटना आवश्यक है । आयकर अधिनियम के अंतर्गत वेतन मिलता है, तो टी.डी.एस. काटा ही जाना चाहिए ’, ऐसा स्पष्ट किया है ।
Kerala High Court has held that salaries paid to nuns and priests of religious congregations working as teachers in government or government-aided educations institutions are liable for tax deduction at sourcehttps://t.co/8COoJbddyo
— OpIndia.com (@OpIndia_com) August 8, 2021
वर्ष १९४४ में सरकारी और सहायता प्राप्त संस्थाओं की ओर से नन और पादरी को दिए जाने वाले वेतन पर कर नहीं था; लेकिन वर्ष २०१४ में इस नियम में सुधार करते हुए नन और पादरी को इस कानून में शामिल किया गया है । इस सुधार को न्यायालय में चुनौती दी गई थी ।