सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति आयोजित ‘ऑनलाइन’ गुरुपूर्णिमा महोत्सव भावपूर्ण वातावरण में संपन्न !
संगणकीय प्रणाली द्वारा १ लाख २४ सहस्र से अधिक साधकों एवं जिज्ञासुओं ने लाभ लिया !
मुंबई – श्रीगुरु ने भक्त, शिष्य एवं साधकों को जन्म-जन्म से तत्त्वरूप में संभाला है । ऐसे प्रीतिस्वरूप एवं भक्तवत्सल गुरुदेवजी के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का दिवस अर्थात गुरुपूर्णिमा ! इस दिन १ सहस्र गुना कार्यरत गुरुतत्त्व का लाभ सभी को हो, इसलिए सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा मराठी, गुजराती, कन्नड तथा मलयालम भाषा में ‘ऑनलाइन’ गुरुपूर्णिमा महोत्सवों का आयोजन किया गया था । उस समय श्री व्यासपूजन तथा सनातन संस्था के श्रद्धाकेंद्र प.पू. भक्तराज महाराजजी की प्रतिमा का पूजन किया गया ।
तत्पश्चात परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने गुरुपूर्णिमा के निमित्त जो संदेश भेजा था, वह पढकर सुनाया गया । इस मंगल अवसर पर सनातन संस्था के धर्मप्रचारक सद्गुरु चारुदत्त पिंगळेजी ने ‘आपातकाल में हिन्दुओं की रक्षा एवं हिन्दू राष्ट्र की स्थापना’ विषय पर मार्गदर्शन किया । उन्होंने कहा, ‘अडचन आने पर सहायता मिले, इस हेतु हम अधिकोष में पैसे रखते हैं । उसी प्रकार संकटकाल में सहायता हो, इस हेतु साधना की पूंजी अपने पास संग्रहित होना आवश्यक है । इससे संकट के समय हमें सहायता मिलती है । भगवान श्रीकृष्ण ने भक्तों को वचन दिया है, ‘न मे भक्तः प्रणश्यति ।’, अर्थात ‘मेरे भक्तों का कभी नाश नहीं होता ।’ इसलिए हमें चाहिए कि साधना बढाकर हम भगवान के भक्त बनें । इससे पूर्व ‘आनंदप्राप्ति हेतु साधना करें’, ऐसा हम बताते थे; किन्तु आनेवाला आपातकाल इतना भीषण होगा कि ‘अब जीवित रहने के लिए साधना करें’, ऐसा बताने का समय आ गया है । सनातन संस्था द्वारा साप्ताहिक ‘ऑनलाइन साधना सत्संग’ लिए जाते हैं । इन सत्संगों का जिज्ञासु अवश्य लाभ लें ।’
इन महोत्सवों में परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने पूर्व में किए मार्गदर्शनों की संग्रहित दृश्यश्रव्य-चक्रिका, तथा ‘आपातकाल की दृष्टि से करने की सिद्धता’ इस विषय पर आधारित दृश्यश्रव्य-चक्रिका भी दिखाई गई । स्वरक्षा प्रशिक्षण की आवश्यकता बतानेवालल प्रत्यक्ष प्रदर्शन (बचाव एवं आक्रमण) इस महोत्सव का आकर्षण रहा । सनातन संस्था, हिन्दू जनजागृति समिति के जालस्थल, तथा उनके ‘यू ट्यूब चैनल्स’ के माध्यम से कार्यक्रम का लाभ लगभग १ लाख २४ सहस्र से अधिक जिज्ञासु एवं साधकों ने लिया ।
इस वर्ष ११ भाषाओं में ‘ऑनलाइन’ गुरुपूर्णिमा महोत्सवों का आयोजन किया गया था । उनमें से मराठी, गुजराती, कन्नड और मल्ल्याळम् इन भाषाओं के ऑनलाइन गुरुपूर्णिमा महोत्सव २३ जुलाई को मनाए गए, तो हिंदी, पंजाबी, बंगाली, उडिया, तेलुगु, तमिल तथा अंग्रेजी इन भाषाओं के ऑनलाइन गुरुपूर्णिमा महोत्सवों का आयोजन २४ जुलाई के दिन किया गया था ।
रामनाथी (गोवा) स्थित सनातन के आश्रम में गुरुपूर्णिमा का आयोजन
गोवा – सनातन के रामनाथी (गोवा) स्थित आश्रम में चेन्नई, तमिलनाडु के पू. डॉ. ॐ उलगनाथन् के माध्यम से सप्तर्षियों की आज्ञानुसार ‘भगवान श्रीकृष्ण, प्रभु श्रीराम तथा परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी और उन्हें नमस्कार करती हुईं श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळ अन् श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळ’, ऐसे एकत्रित विशेषतापूर्ण चित्र का परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी की एक ‘आध्यात्मिक उत्तराधिकारिणी’ श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी ने पूजन किया । इस समय ‘हिन्दू राष्ट्र की स्थापना शीघ्रातिशीघ्र हो’, सभी साधकों की आध्यात्मिक उन्नति हो’, और ‘सभी संकटों का निवारण हो’, इसका आवाहन किया गया ।
गुरुपूर्णिमा के उपलक्ष्य में तुमकूरु (कर्नाटक) स्थित श्री वैद्यनाथेश्वरजी को अभिषेक !
तुमकूरु (कर्नाटक) – परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी की एक ‘आध्यात्मिक उत्तराधिकारिणी’ श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी ने २३ जुलाई को सप्तर्षियों की आज्ञानुसार गुरुपूर्णिका के निमित्त अरेयूरु गांव में स्थित औषधियों के देवता श्री वैद्यनाथेश्वर के दर्शन कर उनका अभिषेकपूजन किया ।
‘स्पिरिच्युअल साइन्स रिसर्च फाउंडेशन’ द्वारा पूरे विश्व में १२ स्थानों पर भावपूर्ण वातावरण में गुरुपूर्णिमा उत्सव संपन्न !
मुंबई – स्पिरिच्युअल साइन्स रिसर्च फाउंडेशन (एसएसआरएफ) की ओर से विश्वभर में १२ स्थानों पर गुरुपूर्णिमा उत्सव भावपूर्ण वातावरण में मनाया गया । ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, ऑस्ट्रिया, क्रोएशिया एवं मॉरिशस इन प्रत्येक देश में १, तो कनाडा में २, अन्य देशों में २ और अमेरिका में ३ स्थानों पर गुरुपूर्णिमा उत्सव मनाया गया । गुरुपूर्णिमा के निमित्त पूरे विश्व के जिज्ञासुओं के लिए अंग्रेजी, , स्पैनिश, सर्बाे क्रोएशियन तथा इंडोनेशियन, इन ५ भाषाओं में ‘सबसे अच्छा आध्यात्मिक दिवस कौनसा ?’ इस विषय पर ‘ऑनलाइन’ व्याख्यान दिया गया ।
आपातकाल में रक्षा होने हेतु आवश्यक प्रशिक्षण लें ! – सद्गुरु चारुदत्त पिंगळेआज के समय में भारत के साथ संपूर्ण पृथ्वी संकटकाल से गुजर रही है । इस पूरे वर्ष में बाढस्थिति, दंगे, महामारी, आर्थिक मंदी जैसे संकटों का परिणाम देश को भुगतना पड रहा है । वर्ष २०२० से २०२३ यह काल भारत ही नहीं, अपितु चीन, यूरोप, अमेरिका जैसे पूर्ण विश्व के लिए ही आपदाओं का काल होगा । इस काल में आर्थिक मंदी, गृहयुद्ध, सीमापार युद्ध, तीसरा विश्वयुद्ध और प्राकृतिक आपदाओं का सामना सामान्य जनों को करना पडेगा । ऐसे आपातकाल में जीवित रहना एवं सुसह्य जीवन जीना, यह एक चुनौती ही होगी । आपातकाल की दृष्टि से स्वरक्षा, प्राथमिक उपचार, अग्निशमन प्रशिक्षण, जलतरण, वाहन चलाना जैसी विविध प्रकार की विद्याएं सीखने के लिए प्रत्येक को प्रधानता देनी चाहिए । |