खूनी कांग्रेस को दंड दें !
देश और विदेश में अनेक स्थानों पर बाढ सदृश्य स्थिति है । महाराष्ट्र और पडोस के गोवा राज्य में भी अनेक स्थानों पर बाढ की स्थिति निर्माण होने से अनेकों की मृत्यु हुई तथा सैकडों लोग बेघर हुए हैं । इस पर पूरे देश में चर्चा आरंभ हो गई है । यह विशाल संकट है; परंतु इसके साथ ही अन्य एक विषय पर भी चर्चा आवश्यक है और वह विषय अर्थात गांधीहत्या के उपरांत महाराष्ट्र में हुई ब्राह्मणों की हत्या !
प्रसिद्ध लेखक और इतिहासकार विक्रम संपत द्वारा प्रसिद्ध अंग्रेजी समाचार वाहिनी ‘टाइम्स नाऊ’ पर पत्रकार नाविका कुमार से की गई चर्चा में वीर सावरकर के विषय में, साथ ही गांधीहत्या के उपरांत महाराष्ट्र में किए गए ब्राह्मण विरोधी दंगो की जानकारी भी दी गई ।
यह जानकारी वर्तमान पीढी अथवा पिछली १-२ पीढियों को भी भलीभांति ज्ञात नहीं है; क्योंकि तत्कालीन सत्ताधारी कांग्रेस ने यह जानकारी जानबूझकर छुपाई । इसका कारण यह है कि वह दंगे कांग्रेस और ब्राह्मणविरोधी संगठनों द्वारा किए गए थे । इन दंगों में लगभग २ से ५ हजार ब्राह्मणों की हत्या तथा २० हजार दुकानें और घर जलाए जाने का आरोप विक्रम संपत ने लगाया है । ‘मृतकों की संख्या ८ हजार भी हो सकती है’, ऐसा दावा भी उन्होंने किया है । ध्यान देनेवाली बात यह है कि ‘आधुनिकतावादी’ कहलानेवाले तथा शाहू, फुले और आंबेडकर के महाराष्ट्र में ऐसी घटना घटित हुई थी । अब जाकर यह जानकारी सामने आई है । इसलिए इस पर चर्चा आवश्यक है । महाराष्ट्र के इतिहास पर कांग्रेसवाले और ब्राह्मणविरोधी संगठनों ने कितनी बडी कालिख पोती है, यह विश्व को ज्ञात होना चाहिए ।
‘बासी कढी में उबाल लाने’ का यह प्रयास है । इस कारण समाज में अशांति और कानून-व्यवस्था बिगडने की स्थिति निर्माण होगी’, इस प्रकार के वक्तव्य किए जाएंगे; परंतु यह शुद्ध ढोंग है । जिस समय ये दंगे हुए, उस समय ‘किसने अशांति निर्माण की ?’ ‘कानून और व्यवस्था किसके कारण भंग हुई ?’ इस पर तो चर्चा होनी ही चाहिए । इस हेतु दोषी लोगों के नाम, उनके संगठनों के नाम भी विश्व के सामने आने चाहिए । ५ हजार लोगों की हत्या करना, २० हजार घर और दुकानें जलाना, यह कोई छोटी घटना नहीं है । यह ध्यान में रखना होगा कि वर्तमान बाढ द्वारा हुई हानि से भी अधिक बडी हानि उन दंगों के कारण हुई थी । कांग्रेस पर वर्ष १९८४ में देहली के साढे तीन हजार सिखों की हत्या का आरोप है । राष्ट्रप्रेमियों को लगता है कि ‘कांग्रेसवालों द्वारा किए गए ब्राह्मणों के हत्याकांड के विषय में पूरे देश में चर्चा हो तथा केंद्र की भाजपा सरकार इस प्रकरण की जांच कर पूर्ण घटनाक्रम विश्व के सामने प्रस्तुत करे ।’ गांधीहत्या चित्पावन ब्राह्मण पंडित नथुराम गोडसे द्वारा किए जाने के कारण और वे महाराष्ट्र के निवासी होने से जानबूझकर महाराष्ट्र के ब्राह्मणों को लक्ष्य (निशाना) बनाया गया । सिखों द्वारा इंदिरा गांधी की हत्या करने पर सिखों को लक्ष्य (निशाना) बनाया गया । धर्मनिरपेक्ष भारत और लोकतांत्रिक देश में ऐसी घटनाएं घटित हुईं, यह देश के लिए कलंक ही है ।
(ढोंगी) आधुनिकतावादी चुप क्यों ?
इन दंगों में वीर सावरकर के बंधु नारायण सावरकर की भी हत्या की गई । संक्षेप में इन दंगों में अनेक हत्याएं और आगजनी होने पर भी किसी पर अपराध प्रविष्ट नहीं किया गया अथवा किसी को बंदी नहीं बनाया गया । इससे समझ में आता है कि यह कितना बडा षड्यंत्र था । हिटलर, स्टैलिन, मुसोलिनी ही नहीं, अपितु चीन के माओ को भी लज्जा से पानी-पानी करनेवाला यह कृत्य था; क्योंकि सभी तानाशाहों द्वारा किए गए हत्याकांड विश्व को ज्ञात हैैं; परंतु महाराष्ट्र के ब्राह्मणों की हत्याओं को पूर्णत: दबाया गया है । विगत कुछ वर्षाें में महाराष्ट्र के २-३ आधुनिकतावादियों की हत्या होने पर निरपराध सनातन पर आरोपों की बौछार करनेवालों ने, सनातन पर प्रतिबंध की मांग करनेवालों ने इन ५ हजार हत्याओं के विषय में, नारायण सावरकर की हत्या के विषय में कभी भी कुछ भी क्यों नहीं कहा ?, ऐसा प्रश्न निर्माण होता है । अभी भी वे इस विषय में नहीं बोलेंगे ? महाराष्ट्र में बडी संख्या में ब्राह्मणद्वेषी लोग और संगठन भरे हुए हैं । कांग्रेस के काल में उन्हें सरकारी सम्मान भी मिलता था । ऐसे लोगों ने महाराष्ट्र में तीव्र ब्राह्मणद्वेषी वैचारिक प्रदूषण निर्माण किया है । किसी ने उसका प्रतिवाद करने का प्रयास किया, तो उसे ‘सनातनी’ कहकर अपमानित किया गया । उन पर आरोप किया गया कि ‘आधुनिकतावादी महाराष्ट्र को पुन: पेशवाई बनाने का प्रयास किया जा रहा है ।’ जिन पेशवाओं ने पाकिस्तान के अटक में झंडा लहराया, देहली में मराठों की सत्ता स्थापित की, उनका सम्मान करने के स्थान पर उन्हें कलंकित करने की प्रथा इन ब्राह्मणद्वेषियों ने निर्माण की ।
समाचार-पत्र नेतृत्व लें !
तत्कालीन कांग्रेस सरकार के दबाव के कारण उस समय के गिने-चुने दैनिकों ने ही इन दंगों का समाचार प्रकाशित किया था; किंतु विदेशी माध्यमों ने इस विषय में विस्तृत समाचार प्रकाशित किए थे । उन्होंने सुस्पष्टता से कहा, ‘गांधी के अनुयायी और ब्राह्मणद्वेषी संगठनों ने ये दंगे करवाए ।’ इस पर महाराष्ट्र के (ढोंगी) आधुनिकतावादी कुछ कहेंगे क्या ? वर्तमान माध्यमों को भी इस विषय में समाचार प्रकाशित करना आवश्यक है । जिस प्रकार प्रसिद्ध अंग्रेजी समाचारवाहिनी ‘टाइम्स नाऊ’ द्वारा इस विषय पर चर्चा की गई और यह इतिहास विश्व के सामने लाने का प्रशंसनीय प्रयास किया गया; उसी प्रकार देश के और विशेषतः आधुनिकतावादी महाराष्ट्र के आधुनिक दैनिक और निर्भिक समाचार-पत्रों द्वारा इस प्रयास को अगले चरण में ले जाकर महाराष्ट्र को कलंकित करनेवालों को सामने लाना चाहिए । ‘पंडित नथुराम गोडसे द्वारा की गई गांधीहत्या महाराष्ट्र पर लगा कलंक है’, ऐसा यदि उन्हें लगता हो, तो उन्हें महाराष्ट्र पर ५ हजार ब्राह्मणों की हत्याओं के कारण लगे कलंक के विषय में भी बोलना चाहिए । ‘किसी ने गाय मारी इसलिए दूसरे द्वारा की गई बछडे की हत्या क्षम्य है’, ऐसा नहीं कहा जा सकता, यह महाराष्ट्र के प्रबुद्ध पत्रकारों को ज्ञात ही होगा । विक्रम संपत द्वारा लगाए गए आरोपों की विस्तृत जांच कर सत्य जनता के समक्ष आना चाहिए । यह इतिहास जनता को ज्ञात होना चाहिए ।