सप्तर्षि द्वारा वर्ष २०२१ की गुरुपूर्णिमा के गुरुपूजन हेतु निर्मित चित्र की विशेषताएं
१. गुरुपूजन हेतु विशेषतापूर्ण चित्र और उसकी निर्मिति का उद्देश्य
१ अ. सप्तर्षि ने गुरुपूर्णिमा पर गुरुपूजन किए जानेवाले चित्र में श्रीराम, श्रीकृष्ण के चित्र और सनातन के तीनों गुरु ‘परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी, श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी एवं श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी’ के छायाचित्र लेकर विशेषतापूर्ण चित्र बनाने के लिए बताना : ‘१३.२.२०२१ को १७० वें सप्तर्षि जीवनाडी पट्टिका के वाचन में सप्तर्षियों ने बताया, ‘वर्ष २०२१ की गुरुपूर्णिमा के गुरुपूजन हेतु श्रीराम, श्रीकृष्ण के चित्र और सनातन के तीनों गुरुओं के छायाचित्र लेकर एक विशेषतापूर्ण चित्र बनाए । चित्र के मध्यभाग में परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का छायाचित्र लें । श्रीविष्णु के अंशावतार परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी में श्रीराम और श्रीकृष्ण के तत्त्व एकत्रित हैं; इसलिए गुरुदेवजी के छायाचित्र के ऊपर के भाग में उनके दाईं ओर श्रीकृष्ण और बाईं ओर श्रीराम का चित्र लें । श्रीकृष्ण के चित्र के नीचे श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) सिंगबाळजी और श्रीराम के चित्र के नीचे श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) गाडगीळजी का छायाचित्र लें । ‘वे दोनों बैठकर गुरुदेवजी की ओर हाथ जोडकर देख रही हैं’, ऐसा उस चित्र में दिखाएं ।’
१ आ. गुरुपूजन हेतु विशेषतापूर्ण चित्र बनवाने का सप्तर्षि द्वारा बताया गया उद्देश्य : श्रीराम एवं श्रीकृष्ण के तत्त्व से युक्त परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का कार्य भी श्रीराम एवं श्रीकृष्ण, इन दोनों अवतारों के समान ही है । परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का अधिकाधिक कार्य निर्गुण स्तर पर चल रहा है, इसलिए गुरुदेवजी का चित्र गोलाकार में लें । श्रीराम का जन्म सूर्यवंश में हुआ था । परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का जन्म सूर्यदशा में होने के कारण उनके आसपास सूर्य का प्रभामंडल हो ।
श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी श्रीकृष्ण के समान एक ही स्थान पर रहकर कार्य कर रही हैं तथा श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी श्रीराम के समान पूरे भारत में यात्रा कर कार्य कर रही हैं । इसलिए हम सप्तर्षि ने इस चित्र में श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) सिंगबाळजी का चित्र श्रीकृष्ण के चित्र के नीचे और श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) गाडगीळजी का चित्र श्रीराम के चित्र के नीचे लेने के लिए बताया है ।
२. गुरुपूजन का कार्यक्रम और षोडशोपचार गुरुपूजन : २३.७.२०२१ को सुबह सभी साधकों के समयानुसार गुरुपूजन का कार्यक्रम करें । इस कार्यक्रम में श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी सर्वप्रथम श्रीराम, श्रीकृष्ण और सनातन के तीनों गुरु के विशेषतापूर्ण चित्र का षोडशोपचार गुरुपूजन करें । उस समय श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) सिंगबाळजी श्वेत रंग की रेशमी साडी पहनें ।’
– श्री. विनायक शानबाग, देहली (७.७.२०२१)
सप्तर्षियों की आज्ञा से प्रभु श्रीराम, भगवान श्रीकृष्ण, परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी (सनातन संस्था के संस्थापक एवं उनकी आध्यात्मिक उत्तराधिकारिणी श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी एवं श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी के बनाए गए उपरोक्त चित्र के ऊपरी भाग, मध्यभाग एवं निचले भाग को स्पर्श कर क्या अनुभव होता है ?, इसकी अनुभूति लें । आपका उत्तर हमें निम्नांकित पते पर सूचित करें !
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परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने कभी नहीं कहा है, ‘मैं अवतार हूं या मैंने अपना अवतारी कार्य प्रारंभ किया है ।’ परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी विष्णु के अवतार हैं, ऐसा महर्षियों ने नाडीपट्टिका में कहा है । साधकों का एवं सनातन प्रभात की संपादक समिति का महर्षियों के प्रति भाव (श्रद्धा) है, इसलिए यह विशेषांक प्रकाशित कर रहे हैं । – संपादक |