सर्वोच्च न्यायालय में ८, तो उच्च न्यायालयों में ४५४ न्यायाधीशों के पद रिक्त  !

जनपद न्यायालयों एवं अधीनस्थ न्यायालयों में ५ सहस्रों से अधिक न्यायाधीशों के पद रिक्त   !

  • यह स्वतंत्रता के ७४ वर्षों के सर्वदलीय शासकों के लिए लज्जाजनक !
  • जहां एक ओर बडी संख्या में प्रकरण लंबित हैं, वहीं दूसरी ओर सभी न्यायालयों में न्यायाधीशों के पद रिक्त हैं । ऐसी स्थिति में स्वाभाविक है कि प्रकरण वर्षों तक लंबित रहेंगे तथा जनता को विलंब से न्याय मिलेगा । जनता की अपेक्षा है कि ‘न्याय में विलंब करना,  न्याय अस्वीकार करना है’,  यह ध्यान में रखते हुए सरकार अब तो एक तत्पर एवं गतिशील न्याय प्रणाली  निर्माण करेगी  !

नई देहली – सर्वोच्च न्यायालय में ८, तो उच्च न्यायालयों में ४५४ न्यायाधीशों के पद रिक्त होने की बात सामने आई है । जनपद न्यायालयों एवं अधीनस्थ न्यायालयों में ५ सहस्रों से अधिक न्यायाधीशों के पद रिक्त हैं । केंद्र सरकार ने २८ जुलाई को लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में यह जानकारी दी । सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की कुल स्वीकृत संख्या ३४ है । इस में से ८ पद रिक्त हैं । वर्तमान में कार्यरत २६ न्यायाधीशों में २५ पुरुष तथा १ महिला न्यायाधीश हैं ।

केंद्र सरकार ने कहा है कि, देश के उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की कुल स्वीकृत संख्या १ सहस्र ९८ है, जिसमें से ४५४ पद रिक्त हैं । इसमें रिक्त स्थानें की सबसे अधिक संख्या इलाहाबाद उच्च न्यायालय में है, जे १६० है, तो सबसे अल्प ३ रिक्त स्थानें की संख्या सिक्किम उच्च न्यायालय में है । वर्तमान में देश के सभी उच्च न्यायालयों में ६४४ न्यायाधीश कार्यरत हैं, जिनमें ५६७ पुरुष तथा ७७ महिला न्यायाधीश हैं ।

सर्वोच्च न्यायालय में ६६ सहस्र ७२७ प्रकरण, ते उच्च न्यायालयों में ५७ लाख से अधिक प्रकरण लंबित !

केंद्र सरकार ने लोकसभा में यह भी जानकारी दी कि १ मार्च २०२१ तक सर्वोच्च न्यायालय में  ६६ सहस्र ७२७ प्रकरण लंबित हैं, जबकि देश के २५ उच्च न्यायालयों में ५७ लाख से अधिक प्रकरण लंबित हैं । इन ५७ लाख प्रकरणों में से ४० प्रतिशत ५ वर्षों से अधिक काल के लिए लंबित हैं । कुल लंबित प्रकरणों में से ५४ प्रतिशत प्रकरण केवल इलाहाबाद, पंजाब एवं हरियाणा, मद्रास, मुंबई तथा राजस्थान इन ५ उच्च न्यायालयों में हैं ।