विधायकों को सभागृह में गुनाह करने की छूट नहीं ! – उच्चतम न्यायालय की ओर से केरल सरकार की खिंचाई 

  • वर्ष २०१५ में केरल विधानसभा में दंगा करने वाले विधायकों के विरुद्ध कार्यवाही करने का मामला

  • विधायकों पर अनुशासन हीनता की कार्यवाही वापस लेने की केरल सरकार की याचिका निरस्त !

  • आरोपी विधायकों के विरोध में मुकदमा चलेगा !

  • गुनाह होने के बाद जितनी देर से गुनहगार को सजा, उतना ही गुनहगारों का मानसिक बल बढता है ! यह ध्यान में रख केंद्र सरकार को गुनहगारों के विरोध में जल्द गति से मुकदमे चलाकर उनको सजा होने के लिए प्रयास करने चाहिए !
  • ऐसे जनता विरोधी विधायकों की सदस्यता हमेशा के लिए रद्द करने की कार्यवाही होगी, तब ही अन्य विधायकों को डर लगेगा ! लोकतंत्र में यह संभव है क्या ?

नई दिल्ली – चुनकर आए विधायक कानून से बडें नहीं हो सकते, इसलिए उन्हें अपराध करने की छूट नहीं, ऐसे शब्दों में उच्चतम न्यायालय ने केरल सरकार की खिंचाई की ।

केरल विधानसभा में वर्ष २०१५ में दंगा करने वाले विधायकों पर अनुशासन हीनता की कार्यवाही पीछे लेने की केरल सरकार की याचिका उच्चतम न्यायालय ने निरस्त कर दी । (गुनाहों पर परदा डालने वाली केरल की कम्यूनिस्ट सरकार ! ऐसी सरकार जनता को कभी भी कानून का राज्य दे सकती है क्या ? – संपादक) उच्चतम न्यायालय के इस निर्णय के बाद केरल के उपद्रवी विधायकों के विरोध में मुकदमा चलने का मार्ग खुल गया है ।

इस याचिका पर २८ जुलाई के दिन हुई सुनवाई के समय न्यायालय ने केरल सरकार की अच्छी खिंचाई की,

१. विधायकों को जनता के काम करने के लिए विशेषाधिकार दिए गए हैं, विधानसभा में तोड़फोड़ करने के लिए नहीं । विधायकों के विशेषाधिकार उन्हें आपराधिक कानून से नहीं बचाता है ।

२. उपद्रवी विधायकों के विरोध के अपराध, उनके ऊपर की कार्यवाही पीछे लेना, इसमें कहां का जनहित है ?

३. इस मामले पर न्यायालय का निर्णय यह ‘सभागृह में उपद्रव करने का परिणाम क्या होता है ? विधायकों के विशेषाधिकार की लक्ष्मण रेखा कहां तक होनी चाहिए ? राजनीतिक विरोध किस सीमा तक करना चाहिए ?’ यह एक उदाहरण होगा ।