आपातकालीन स्थिति में (कोरोना की पृष्ठभूमि पर) धर्मशास्त्रानुसार गुरुपूर्णिमा मनाने की पद्धति !
‘२३ जुलाई २०२१ को व्यासपूर्णिमा, अर्थात गुरुपूर्णिमा है । प्रतिवर्ष बहुत लोग साथ-मिलकर संबंधित संप्रदाय अनुसार गुरुपूर्णिमा महोत्सव मनाते हैं; किंतु इस वर्ष भी कोरोना विषाणु के संसर्ग के कारण हम मिलकर गुरुपूर्णिमा महोत्सव नहीं मना सकते हैं । अत: इस वर्ष भी मिलकर गुरुपूजन करना संभव नहीं होगा । अतः सभी घर-पर रहकर ही श्री गुरुदेवजी की प्रतिमा, मूर्ति अथवा पादुका का पूजन आगे दिए अनुसार करें ।
अ. इस वर्ष पूर्णिमा तिथि २३ जुलाई को सवेरे १०.४४ मिनट पर आरंभ होगी । अतः इस समय से लेकर सूर्यास्त तक अर्थात सायंकाल ७ बजे तक पूजन करें । २४ जुलाई को सवेरे ८.०८ पर इसका समापन होगा ।
आ. पूजन के समय श्रीगुरुदेवजी की प्रतिमा, मूर्ति अथवा पादुका को गंध, पुष्प, धूप, दीप इत्यादि उपचार अर्पण करें । तत्पश्यात घर पर बनाया हुआ कोई मीठा व्यंजन अथवा दूध-चीनी का नैवेद्य समर्पित करें ।
इ. श्रीगुरुदेवजी की भावपूर्ण आरती कर पूजन संपन्न करें ।
ई. जो लोग सामग्री के अभाववश सर्व उपचार अर्पित नहीं कर सकते, वे जो कुछ भी बन पाता है, उतने उपचार अर्पित कर श्रीगुरुदेवजी का पूजन करें । जो इतना भी नहीं कर सकते, वे श्रीगुरुदेवजी की मानसपूजा करें ।
उ. गुरुपूर्णिमा के पूरे दिन गुरुदेवजी के अनुसंधान में रहने का प्रयास करें । इसलिए गुरुदेवजी की लीलाओं का स्मरण करना, गुरुदेवजी के दिए हुए मंत्र का अधिकाधिक जाप करना आदि कर सकते हैं ।’
इस प्रकार गुरुपूर्णिमा मनाने से इस दिन वातावरण में स्थित सहस्र गुना कार्यरत गुरुतत्त्व का लाभ हम ग्रहण कर सकते हैं ।
– सनातन पुरोहित पाठशाला, सनातन आश्रम, रामनाथी, गोवा. (१७.७.२०२१)