जापान के बौद्ध मंदिर में रोबोट करता है पूजा !

यदि पूजा अनुष्ठान भावपूर्वक किया जाता है, तो उससे चैतन्य की निर्मिति होती है और संपूर्ण समाज को उसका लाभ मिलता है । रोबोट पूजा तो करेगा किन्तु क्या वह भावपूर्ण होगी ? उन्नत तकनीक का उपयोग करके ‘रोबोट’ पुजारी का निर्माण हो सकता है, किन्तु उसमें ईश्वर के प्रति भाव व शरणागति जैसे दैवीय गुणों का निर्माण कैसे होगा ? यह विज्ञान की मर्यादा को दर्शाता है !


टोकीयो (जापान) –
जापान के क्योटो स्थित ४०० वर्ष पुरातन कोदाईजी बौद्ध मंदिर में कोई पुजारी नहीं है । इसके स्थानपर वहां पूजा अनुष्ठान रोबोट द्वारा किए जाते हैं । विशेष बात यह है कि ‘एंड्रॉइड’ नामक यह रोबोट न केवल देवताओं की पूजा करता है, अपितु भक्तों को धार्मिक ज्ञान भी देता है और उनकी शंकाओं का समाधान भी करता है । यह रोबोट बौद्ध धर्म में होते परिवर्तन के अनुरूप उसके ज्ञान में वृद्धि भी कर रहा है । इसलिए वह भक्तों द्वारा पूछे गए प्रश्नों के योग्य उत्तर भी  देता  है । बताया जा रहा है कि इस  ‘रोबोट’ पुजारी की कभी मृत्यु नहीं होगी एवं समय के साथ स्वयं को विकसित करेगा । ६ फुट ऊंचा ‘एंड्रॉइड’ दिखने में मानव जैसा दिखता है । एंड्रॉइड सिलिकॉन से बना है इसलिए  उसका मुखमंडल , हाथ और कंधे मानव जैसे दिखते हैं । ‘एंड्रॉइड’ को बनाने में १० लाख रुपये व्यय  किए गए हैं ।