मंदिर, मठ आदि स्थलों से ५ किमी के परिसर में गोमांस के क्रय-विक्रय पर प्रतिबंध होगा  !

  • आवश्यक प्रमाणपत्र प्राप्त किए बिना मवेशियों का वध नहीं किया जा सकेगा !

  • असम सरकार का नया गोधन संरक्षण विधेयक

जब असम राज्य ऐसा कानून बना सकता है, तो केंद्र सरकार एवं अन्य राज्यों ने भी वह बनाना चाहिए, ऐसा हिन्दुओंको लगता है ! 

गुवाहाटी (असम) – असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा की सरकार द्वारा विधानसभा में एक नया ‘गोधन संरक्षण विधेयक’ प्रस्तुत किया गया है । मवेशियों की रक्षा करने हेतु बनाए गए इस विधेयक के अनुसार, हिन्दू, जैन, सिख एवं गोमांस न खाने वाले समुदायों के निवास के क्षेत्रों में गोमांस अथवा गोमांस के उत्पादों के क्रय एवं विक्रय पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा । किसी भी मंदिर, मठ आदि के ५ किमी के परिसर में भी यह प्रतिबंध लागू रहेगा । कुछ धार्मिक त्योहारों के समय इसमें छूट दी जा सकती है ।

मुख्यमंत्री सरमा ने कहा,

१.  इस विधेयक का उद्देश्य मवेशियों के वध एवं अवैध यातायात को नियंत्रित करना है । यदि पारित हो जाता है, तो यह विधेयक असम गोधन संरक्षण अधिनियम, १९५० का स्थान लेगा । भूतपूर्व कानून में पशु वध, पशु सेवन एवं परिवहन विनियमित करने के लिए पर्याप्त कानूनी प्रावधान नहीं थे । नया विधेयक पारित होने के उपरांत भूतपूर्व कानून निरस्त किया जाएगा ।

२. इस कानून का उद्देश्य कुछ विशिष्ट स्थलों के अतिरिक्त अन्य कहीं भी गोमांस का क्रय एवं विक्रय करने पर प्रतिबंध लगाना है । देश में ऐसे अनेक राज्य हैं जिनके अपने पशुहत्या विरोधी कानून हैं; परंतु उन्होंने गोमांस एवं गोमांस उत्पादों के क्रय अथवा विक्रय के लिए असम के प्रस्ताव के अनुसार विशिष्ट क्षेत्रों को वर्जित नहीं किया है ।

३. इस विधेयक के अनुसार, पंजीकृत पशु चिकित्सा अधिकारी से आवश्यक प्रमाण पत्र प्राप्त किए बिना मवेशियों का वध नहीं किया जा सकता है । अधिकारी केवल तभी प्रमाण पत्र जारी कर सकते हैं, जब मवेशी १४ वर्ष से अधिक आयु के हो ।यदि गाय या बछडा विकलांग है, तो उनका वध किया जा सकता है । केवल लाइसेंस (अनुज्ञा पत्र) प्राप्त कसाईखानों को ही मवेशियों का वध करने की अनुमति होगी ।

४. इस विधेयक के अनुसार दोषी पाए जाने पर न्यूनतम तीन वर्ष के कारावास का दंड एवं पांच लाख रुपए तक का अर्थदड हो सकता है । यदि कोई व्यक्ति दूसरी बार दोषी पाया जाता है, तो उसे दोगुना दंड किया जाएगा  ।

(कहते हैं) ‘मुसलमानों को लक्ष्य बनाने वाला कानून !’ – कांग्रेस

धर्मनिरपेक्ष भारत में कांग्रेस एक राजनीतिक दल है अथवा इस्लामी देशों के मुसलमानों का दल ? उसने यह ध्यान रखना चाहिए कि प्रत्येक समय केवल मुसलमानों का विचार करने वाले इस दल को बहुसंख्यक हिन्दुओं ने सत्ता से हटाने के उपरांत भी कांग्रेस का हिन्दू-विरोधी भूमिका अपनाने का प्रयास आत्मघाती है । 

इस विधेयक पर प्रतिक्रिया देते हुए, कांग्रेस के विपक्ष के नेता देबाब्रत सैकिया ने कहा कि मुसलमानों को लक्षित करने के लिए यह कानून बनाया जा रहा है । इस विधेयक का अध्ययन करने की आवश्यकता है । इसमें अंतर्भूत ५ किमी का प्रावधान हास्यास्पद है । कोई भी कहीं भी मंदिर बना सकता है; इसलिए यह विधेयक अत्यंत संदिग्ध है । इससे जातीय तनाव बडी मात्रा में बढ सकता है ।