श्रीलंका में चीन के सैनिकों के काम करते समय स्थानीय नागरिकों की ओर से विरोध !
श्रीलंका के नागरिकों को चीन के विरोध में संघठित होकर उसे बाहर निकालने के लिए प्रयास करने चाहिएं ,अन्यथा चीन द्वारा श्रीलंका पर कब्जा करने पर आश्चर्य न हो !
कोलंबो (श्रीलंका) – श्रीलंका ने उसके देश के हंबनटोटा बंदरगाह को विकसित करने के लिए चीन को दिया है । चीन के कुछ सैनिक जब वहां के प्राचीन तालाब के पास काम कर रहे थे तो स्थानीय नागरिकों ने सैनिकों का विरोध किया । इनके सैनिक ड्रेस में होने के कारण स्थानीय नागरिकों को यह ध्यान में आया । दूसरी ओर श्रीलंका स्थित चीन दूतावास ने यह दावा नकार दिया कि ड्रेस पहने हुए उसके सैनिक हैं । ‘चीन सैनिकों समान उन्होंने ड्रेस पहनी हो, लेकिन वे चीनी सैनिक नहीं है’, ऐसा दूतावास ने स्पष्टीकरण दिया है । (यदि वे काम करने वाले हैं, तो चीनी सैनिकों समान ड्रेस क्यों पहनी है ? इसका उत्तर चीन क्यों नही देता ? – संपादक) श्रीलंका सरकार ने भी चीनी सैनिक वहां उपस्थित थे, ऐसे दावा को नकार दिया है । ‘चीनी सैनिकों समान ड्रेस वाले कपडे पहने चीनी काम करने वाले हैं’, ऐसा सरकार ने कहा है । श्रीलंका कानून के अनुसार सेना में न होने वालों द्वारा सैनिक की पोषाक पहनना गुनाह है । उस अनुसार दंड ओर हिरासत में लिया जा सकता है ।
१. प्रचार माध्यमों द्वारा दिए समाचार के अनुसार चीन की ओर से तालाब के पास काम करते समय पुरातत्व विभाग की ओर से अनुमति भी नहीं ली गई, ऐसा सामने आया है । (चीन ने श्रीलंका में कदम रखते ही श्रीलंका पर अपना अधिकार दिखाना शुरू किया है, यही इससे ध्यान में आता है ! – संपादक)
२. इस घटना पर श्रीलंका सांसद और ‘फील्ड मार्शल’ उपाधि से सम्मानित सरथ फोन्सेका ने अप्रसन्नता व्यक्त करते हुए ‘चीन के सैनिक और अधिकारी देश में घुसकर काम कर रहे हैं’, ऐसा कहा है ।
३. श्रीलंका ने चीन को ‘कोलंबो पोर्ट सिटी’ प्रोजेक्ट ९९ वर्ष के समझौते पर दिया है । इसका भी विरोधी पार्टियों की ओर से विरोध किया जा रहा है ।