देश में मुसलमानों को नहीं रहना चाहिए’ ऐसा कहने वाला हिन्दू नहीं है ! -सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत

सरसंघचालक डॉ.मोहन भागवत

गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश) – यदि कोई हिन्दू कहता है, ‘देश में एक भी मुसलमान को नहीं रहना चाहिए’, तो वह हिन्दू नहीं है । हिन्दू धर्म में गाय को पवित्र माना जाता है; परंतु एक व्यक्ति विशेष धर्म का है, इसलिए उस पर आक्रमण करना एवं भीड द्वारा उसकी मारपीट करना हिन्दू धर्म-विरोधी है । उनके विरुद्ध कठोर कार्रवाई होनी चाहिए, ऐसी मांग राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ.मोहन भागवत ने की । वे यहां के मेवाड महाविद्यालय में आयोजित एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में बोल रहे थे ।

‘भारत एक हिन्दू राष्ट्र है; परंतु भीड द्वारा किसी को पीटना एक अपराध है । हम कभी इसका समर्थन नहीं करते । ‘अपने आप को एक हिन्दू नहीं, अपितु भारतीय कहो’ ऐसा भी उन्होंने कहा ।

सरसंघचालक डॉ. भागवत द्वारा प्रस्तुत विचार 

१. कुछ लोग मुझे भोलाभाला समझ सकते हैं, परंतु मैं सत्य ही कथन करुंगा । हिन्दू एवं मुसलमान सैकडों वर्षों से एक साथ शांतिपूर्ण पद्धति से रह रहे हैं, इसलिए दोनों का  ‘डीएनए’ एक ही है मेरे इस कथन से अनेकों को आश्चर्य होगा; परंतु विचारशील हिन्दू मेरा यह मत स्वीकार करेंगे ।

२. भारत यह एक राष्ट्र है तथा वह यहां रहनेवाले सभी धर्मों के हैं । इसलिए मुसलमानों को अपना परिचय समाप्त करने अथवा नष्ट करने की कोई आवश्यकता नहीं है ।  हिन्दू एवं मुस्लिम एकता एक भ्रामक धारणा है; क्योंकि मूलतः ही हिन्दू एवं मुसलमान अलग नहीं हैं ।

३. चाहे हमारा धर्म कुछ भी हो, हम भारतीय हैं । इसलिए हिन्दुओं ने स्वयं का परिचय ‘भारतीय’ के रूप में करना चाहिए ।

४. हिन्दू एवं मुसलमान, हम दोनों ही साथ-साथ चलते आए हैं, चल रहे हैं एवं भविष्य में भी साथ-साथ ही चलते रहेंगे ।

५. सभी को अपने आप को किसी धर्म तक सीमित न रखते हुए राष्ट्रवाद की भावना से एकत्रित होना चाहिए । एक-दूसरे पर आक्रमण करना, किसी न किसी कारण से एक समूह के रूप में दूसरे पर धावा बोलना, ये बातें भारतीय संस्कृति के साथ असंगत है तथा इन्हें तत्काल रोका जाना चाहिए एवं उनकी निंदा की जानी चाहिए ।

६.सभी भारतीयों के लिए, भाषा, क्षेत्र एवं अन्य असमानताओं को त्याग कर अब एकत्रित होने एवं भारत को विश्वगुरु बनाने का समय आया है । भारत विश्वगुरु बनने के पश्चात ही संसार सुरक्षित होगा ।

७. ‘हिन्दू आपको समाप्त कर देंगे’ , ऐसा अल्पसंख्यकों के मन पर अंकित किया जा रहा है; परंतु जब अल्पसंख्यकों पर अन्याय होता है तो आवाज उठानेवाला बहुसंख्यक ही होता है ।