भारत में हिन्दुओं का सर्वाधिक धर्मांतरण ! – प्यू रिसर्च सेंटर सर्वेक्षण

  • हिन्दुओं का ईसाई धर्म में परिवर्तन का प्रतिशत सर्वाधिक !

  • दक्षिण भारत में सबसे अधिक हिन्दुओं का धर्मांतरण !

  • धर्मान्तरित होने वालों में आधे अनुसूचित जाति के हिन्दू हैं !

  • भेदभाव के कारण धर्मांतरण !

  • सर्वेक्षण में ये भयावह आंकडे सामने आने के उपरांत, हिन्दुओं को लगता है कि केंद्र सरकार को तुरंत पूरे देश में धर्मांतरण विरोधी कानून लागू करना चाहिए तथा हिन्दू संगठनों को इसके लिए सरकार पर दबाव बनाना चाहिए !
  • भारत में ईसाई मिशनरी, समाज सेवा के नाम पर हिन्दुओं का धर्म परिवर्तन कराने का ही काम कर रहे हैं । इससे स्पष्ट है कि, इसके अतिरिक्त उनका कोई उद्देश्य नहीं है ! क्या तथाकथित धर्मनिरपेक्षतावादी और पुरो(अधो)गामी इस संबंध में अपना मुंह खोलेंगे ?
  • यह सर्वेक्षण एक अमेरिकी संगठन द्वारा किया गया है, अत: यह अपेक्षा की जाती है कि देश के तथाकथित हिन्दू विरोधी दल और संगठन, हिन्दू संगठनों पर आरोप नहीं लगाएंगे !
(प्रतिकात्मक छायाचित्र)

वाशिंगटन (यू.एस.ए.) – प्यू रिसर्च सेंटर द्वारा प्रकाशित एक सर्वेक्षण की रिपोर्ट में कहा गया है कि, भारत में हिन्दुओं का धर्मांतरण सर्वाधिक हुआ है । ईसाई धर्म अपनाने वालों में हिन्दुओं का प्रतिशत सबसे अधिक है । इनमें से ७४ प्रतिशत हिन्दू, अकेले दक्षिण भारतीय राज्यों से हैं । इससे दक्षिण भारत के राज्यों में ईसाई जनसंख्या में वृद्धि हुई है । धर्मांतरित लोगों में से लगभग आधे अनुसूचित जाति, १४ प्रतिशत अनुसूचित जनजाति और २६ प्रतिशत ओ.बी.सी. (अन्य पिछडे वर्ग) से हैं । ४५ प्रतिशत धर्मान्तरित लोगों ने विशेष रूप से अनुसूचित जातियों के प्रति भेदभाव को उत्तरदायी ठहराया है ।

हिन्दू युवतियों का दूसरे धर्मों में विवाह करना अनुचित है ! – सर्वेक्षण में हिन्दुओं ने व्यक्त की राय

सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में हिन्दु मानते हैं कि उनकी बेटियों का दूसरे धर्मों में विवाह करना अनुचित है । ६७% हिन्दू कहते हैं, ‘उनकी बेटियों का दूसरे धर्मों में विवाह करना योग्य नहीं है ।’ ६५% हिन्दुओं का मानना है कि, पुरुषों को अन्य धर्मों की युवतियों से विवाह नहीं करना चाहिए । इस संदर्भ में, ८० प्रतिशत मुसलमानों ने कहा कि, उनकी युवतियों को दूसरे धर्मों में विवाह नहीं करना चाहिए, जबकि ७६ प्रतिशत मुसलमानों ने कहा कि, उनके पुरुषों को दूसरे धर्मों में विवाह नहीं करना चाहिए ।

ऐसा कोई हिन्दू नहीं जो गौ मांस खाता हो और मंदिर न जाता हो !

६४% हिन्दुओं ने कहा, कि एक सच्चा भारतीय होने के लिए हिन्दू होना बहुत आवश्यक है । ८०% हिन्दुओं ने कहा, कि इसके लिए हिंदी भाषा आवश्यक है । उत्तर भारत में ६९ प्रतिशत, मध्य भारत में ८३ प्रतिशत और दक्षिण भारत में ४२ प्रतिशत हिन्दुओं ने राष्ट्रवाद के साथ अपनी पहचान बनाई । ७२ प्रतिशत हिन्दुओं ने कहा, कि जो गौ मांस खाता है वह ‘हिन्दू’ नहीं हो सकता । साथ ही ४९ प्रतिशत लोगों ने कहा, ‘ऐसा कोई हिन्दू नहीं हो सकता जो भगवान को नहीं मानता’, जबकि ४८ प्रतिशत हिन्दुओं ने कहा, ‘ऐसा कोई हिन्दू नहीं हो सकता जो मंदिर नहीं जाता हो ।’

प्यू रिसर्च सेंटर द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के कुछ प्रमुख बिंदु :

१. वर्ष २०१९-२० में, २६ राज्यों और ३ केंद्र शासित प्रदेशों के १७ भाषा बोलने वाले लोग सर्वेक्षण में सहभागी हुए । इसमें राष्ट्रवाद, धार्मिक श्रद्धा  और सहिष्णुता का अध्ययन किया गया । इसमें पाया गया, कि भारत के लोग धार्मिक रूप से सहिष्णु हैं एवं अपने धर्मानुसार स्वतंत्र रूप से रहना पसंद करते हैं ।

२. सर्वेक्षण में ८४ प्रतिशत लोगों ने कहा, कि वे सच्चे भारतीय हैं और सभी धर्मों का सम्मान करते हैं । साथ ही, ७८ % मुसलमानों ने भी ऐसा ही  कहा । (उनके बर्ताव से ऐसा क्यों नहीं दिखता, कि मुसलमान इतनी बडी संख्या में सभी धर्मों का सम्मान करते हैं ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

३. एक मित्र के रूप में, प्रत्येक आस्तिक अपने ही धर्म के व्यक्ति को पसंद करता है ।

४. ७४% मुसलमानों ने कहा, कि मुसलमानों को अपने धर्म के शरीयत अदालत में जाना चाहिए । मुसलमानों के धार्मिक मामलों पर निर्णय  सुनाने के लिए भारत में १९३७ से शरिया अदालत प्रणाली है । इसके अंतर्गत काजी निर्णय लेते हैं । इन न्यायालयों के निर्णयों का कानून की दृष्टि से पालन करने के लिए किसी को बाध्य नहीं किया जा सकता है । (शरिया न्यायालयों को रोकने के लिए देश को समान नागरिक कानून की अत्यंत आवश्यकता है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

५. ४८ प्रतिशत मुसलमानों ने कहा  कि १९४७ में भारत के विभाजन का हिन्दू-मुसलमान संबंधों पर हानिकारक प्रभाव पडा । दूसरी ओर, केवल ३७% हिन्दुओं और ६६% सिखों ने इसकी पुष्टि की ।

६. ९७ प्रतिशत भारतीय ईश्वर पर विश्वास करते हैं, जबकि ८० प्रतिशत कहते हैं, “ईश्वर का अस्तित्व है ।” ७७ प्रतिशत मुसलमान और ५४  प्रतिशत ईसाई कहते हैं, “वे कर्म में विश्वास करते हैं ।” ७ प्रतिशत हिन्दू ईद मनाते हैं और १८ प्रतिशत क्रिसमस मनाते हैं । (कितने प्रतिशत मुसलमान और ईसाई हिन्दू त्यौहार मनाते हैं, प्यू रिसर्च सेंटर ने यह सर्वेक्षण क्यों नहीं किया अथवा उसके आंकडे महत्वहीन हैं, इसलिए, उसे दबा दिया गया है ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)