कनाडा के रोमन कैथोलिक चर्च की पाठशालाओं में हुई सहस्रों आदिवासी बच्चों की मृत्यु के लिए पोप को क्षमा मांगनी चाहिए !

  • कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का पोप फ्रांसिस को आवाहन !

  • रोमन कैथोलिक चर्च द्वारा आदिवासी बच्चों का ‘सांस्कृतिक वंशसंहार’ करने का आदिवासी नेताओं का आरोप !

  • ‘सेंट जे़वियर’ द्वारा गोवा के सहस्रों हिंदुओं पर किए अमानवीय अत्याचारों के संदर्भ में भी पोप को हिंदुओं से सार्वजनिक क्षमा मांगें, ऐसी मांग भारतीय शासनकर्ताओं को करनी चाहिए, ऐसा हिंदुओं को लगता है । 
  • उठते बैठते हिंदुओं को असहिष्णु ठहराने वाले आधुनिकतावादी,  देशी-विदेशी मीडिया में रोमन कैथोलिक चर्च के गलत काम पर, साथ ही ‘सेंट जे़वियर’  हिंदुओं के ऊपर अत्याचारों के विषय में एक शब्द भी नहीं निकालते हैं, यह ध्यान दे !
  • ईसाइयों की प्रशंसा करने वाले कम्युनिस्ट, धर्मनिरपेक्षतावादी, उदारवादी अब एक शब्द भी नहीं कहेंगे, यह ध्यान दें !

टोरंटो (कनाडा) – पिछली सदी में रोमन कैथोलिक चर्च द्वारा संचालित पाठशालाओं में हुई सहस्रों आदिवासी बच्चों की मृत्यु के लिए ईसाइयों के सर्वोच्च धर्मगुरू पोप फ्रांसिस को कनाडा की भूमि पर आकर यहां की जनता से क्षमा मांगनी चाहिए, ऐसी मांग कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने की है ।

१. ट्रूडो ने आगे कहा कि, १९ वीं सदी के आरंभ से लेकर १९७० के दशक तक कनाडा सरकार ने डेढ लाख आदिवासी बच्चों को चर्च द्वारा संचालित ‘कॉन्वेंट बोर्डिंग पाठशालाओं’ में शिक्षा लेने के लिए मजबूर किया था । इसके पीछे का उद्देश्य था कि वे कनाडा की मुख्य धारा में आएं । कनाडा की इस अधिकारिक नीति  के कारण सहस्रों बच्चे स्वयं की संस्कृति और भाषा से दूर हो गए । इसके लिए कनाडा सरकार दुखी है और खेद व्यक्त करती है । (भारत में इन्हीं ‘कॉन्वेंट’ पाठशालाओं में पढाना प्रतिष्ठा माना जाता है ! इन पाठशालाओं में हिंदू लडकियों को बिंदी न लगाने देना, चूडियां न पहनने देना, लडकों को स्वयं के माथे पर कुमकुम तिलक न लगाने देना आदि संस्कृति से दूर करने वाली बातें सीधे होते हुए दिखाई देती हैं ! इस कारण भारत की सरकार को भी ऐसी ‘कॉन्वेंट’ पाठशालाओं के विषय में ठोस भूमिका लेनी चाहिए, ऐसा ही हिंदुओं को लगता है ! – संपादक)

२. आदिवासी नागरिकों के नेताओं ने आरोप लगाया है कि, रोमन कैथोलिक पाठशालाओं ने इन बच्चों का ‘सांस्कृतिक नरसंहार’ किया । वर्ष १८९९ से १९९७ के काल में ‘सास्कटचेवान’ प्रांत की एक पाठशाला से ६०० कब्रें मिली है, तो ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत की एक पाठशाला से २१५ कब्रें मिलने की जानकारी सामने आई है ।

३. ‘राष्ट्रीय सत्य और सुलह समिति’ ने वर्ष २०१५ में सार्वजनिक की गई रिपोर्ट के अनुसार इन पाठशालाओं में लगभग ३ सहस्र २०० बच्चों की मृत्यु होने पर भी उसमें से आधे से अधिक बच्चों की मृत्यु की जानकारी प्रविष्ट नहीं की गई थी । इनमें से अधिकांश बच्चों को बोर्डिंग पाठशालाओं के अत्यंत गंदे वातावरण में रहने से क्षयरोग हो गया था । इस कारण उनकी मृत्यु हो गई ।

४. अमेरिका में भी अमेरिका के मूल निवासी बच्चोें पर इस प्रकार के अत्याचार किए गए थे, उसकी जांच की जाएगी, ऐसा वहां के अंतर्गत मामलों के सचिव देब हालांड ने घोषित किया है ।

कनाडा की रोमन कैथोलिक चर्च द्वारा संचालित बोर्डिंग पाठशालाओं ने किए ऐसे अत्याचार !

रोमन कैथोलिक चर्च संचालित बोर्डिंग पाठशालाओं में सहस्रों आदिवासी बच्चों को शारीरिक और यौन उत्पीड़न का सामना करना पडा । बच्चों के स्थानीय आदिवासी भाषा में बोलते दिखाई देने पर उन्हें मारा जाता है । सहस्रों बच्चे अनेक रोगों से और अन्य कारणों से बोर्डिंग पाठशालाओं में ही मर गए । पाठशालाओं ने मृतकों के शव परिवार को न देकर उन्हें पाठशाला परिसर में गाड़ दिया ।