आपकी नीति नहीं, अपितु देश का कानून सर्वोच्च ! – केंद्र सरकार की ट्विटर को फटकार
देशप्रेमियोंको लगता है कि सरकार की केवल फटकार पर्याप्त नहीं है:, अपितु ऐसे प्रतिष्ठान पुनः कभी देशद्रोह एवं हिन्दू द्वेष करने का दुस्साहस न करें, ऐसा दंड उन्हें देना चाहिए !
नई देहली – आपकी नीति नहीं:, अपितु देश का कानून सर्वोच्च है, इन शब्दों में केंद्र सरकार ने ट्विटर को फटकार लगाई है । ‘ट्विटर इंडिया’ की ओर से सार्वजनिक-नीति विषयक प्रबंधक शगुफ्ता कामरान एवं कानूनी सलाहकार आयुषी कपूर ने ‘सामाजिक माध्यमों का दुरुपयोग तथा नागरिक अधिकारों की रक्षा’ पर संसदीय समिति के सामने अपना पक्ष रखा । कांग्रेस सांसद शशि थरूर की अध्यक्षता वाली केंद्रीय संसदीय समिति ने दोनों अधिकारियों से अनुमानित ४० प्रश्न पूछे । इस समिति में थरूर के सहित भाजपा सांसद निशिकांत दुबे, राजवर्धन राठौर, तेजस्वी सूर्या एवं सुभाष चंद्रा आदि सम्मिलित हैं ।
Parliamentary panel gives tough message to Twitter India, says it must abide by Indian law
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— ANI Digital (@ani_digital) June 18, 2021
१. प्रारंभ में इन अधिकारियों से ‘ट्विटर इंडिया’ प्रतिष्ठान में उनका पद तथा भारत में उनकी नियुक्ति का आधार क्या है ? ऐसा प्रश्न किया गया ।इस पर ट्विटर ने उत्तर दिया, ‘हम जिस देश में काम करते हैं, वहां के कानून का सम्मान करते हैं; परंतु व्यापक हित के लिए हम हमारी नीतियों के अनुरूप कार्य करते हैं ।’ इस पर संसदीय समिति ने प्रति प्रश्न पूछा, ‘आपकी नीतियां नहीं; अपितु देश का कानून सर्वोच्च है।’ कानून का उल्लंघन करने के लिए आप पर दंड क्यों न लगाया जाए ? ‘
२. इस समय संसदीय समिति ने ट्विटर के अधिकारियों से पूछा, ‘यूरोप में आप को ४५ लाख यूरो (लगभग ४ करोड रुपए) का दंड दिया गया है, जबकि नाइजीरिया में आप पर प्रतिबंध है ।’ इससे आप धुले हुए चावल के समान नहीं हो ।भारत में भी नियमों के उल्लंघन के लिए आपको दंडित क्यों नहीं किया जाना चाहिए ? ‘ तब अधिकारियों ने ‘हम समिति को लिखित उत्तर देंगे।’ ऐसा कहते हुए बात टाल दी ।’
३. जब समिति द्वारा ‘ट्विटर ने शिकायतों को दूर करने के लिए एक पूर्णकालिक अधिकारी नियुक्त नहीं किया है’ यह सूत्र उठाया, तब ट्विटर के अधिकारियों ने कहा, ‘हम निर्देशों का पालन करने की प्रक्रिया में हैं तथा उसे पूर्ण करने का प्रयास कर रहे हैं ।’
४. ट्विटर के अधिकारियों ने कुछ प्रश्नों के उत्तर में कहा, ‘हम कुछ समय के पश्चात उनका लिखित उत्तर देंगे ।’
५. तदुपरांत ‘ट्विटर इंडिया’ के एक प्रवक्ता ने कहा कि ‘हम पारदर्शिता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एवं गोपनीयता की नीति के अनुरूप नागरिकों के ‘ऑनलाइन’ अधिकारों की रक्षा के लिए समिति को सहयोग करेंगे।’ हम भारत सरकार के साथ सहयोग करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’
मुख्य प्रश्न पर ट्विटर का मौन !
इस समय संसदीय समिति ने ट्विटर के अधिकारियों से प्रश्न पूछा ‘कैपिटल हिल्स’ आंदोलन (अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव के समय संसद में घुसकर डोनाल्ड ट्रम्प के समर्थकों द्वारा की गई हिंसा) के संदर्भ में की गई ट्विट्स आपने यह कहते हुए हटाई कि आप ‘कानून तोड रहे हैं’; परंतु लाल किला आंदोलन (किसानों द्वारा किया गया अवैध आंदोलन) से संदर्भित ट्विट्स को आपने ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ बताया, ऐसा क्यों है ?’ इस पर ट्विटर के अधिकारियों द्वारा मौन धारण किया गया ।
गाजियाबाद पुलिस द्वारा ‘ट्विटर इंडिया’ के प्रबंध निदेशक को उत्तर प्रविष्ट करने के लिए नोटिस जारी !
एक वृद्ध मुसलमान व्यक्ति की पिटाई की घटना को धार्मिक रंग देकर दो समुदायों में अनबन उत्पन्न करने के प्रकरण में उत्तर प्रदेश में गाजियाबाद पुलिस ने ‘ट्विटर इंडिया’ के प्रबंध निदेशक मनीष माहेश्वरी को एक सप्ताह में ‘लोनी सीमा’ पुलिसथाने में आकर उत्तर देने के लिए नोटिस भेजा है । गाजियाबाद के पुलिस अधीक्षक इराज राजा ने यह जानकारी दी । पुलिस ने १५ जून को ट्विटर के विरुद्ध ‘प्राथमिकी प्रविष्ट की थी । ‘यह प्रकरण आपसी विवाद का होते हुए भी ट्विटर द्वारा इसे धार्मिक रंग दिया गया । पुलिस द्वारा वास्तविकता बताने के पश्चात भी, ट्विटर ने न ही विवादित एवं अनबन करनेवाले ट्वीट्स हटाए और न ही जनता को सत्य से अवगत कराया’, एेसा पुलिस ने कहा।