देश में सोने के गहनों पर ‘हॉलमार्किंग’ का नियम !
सर्राफा व्यवसायी केवल ‘हॉलमार्क’ अंकित सोने के आभूषण ही बेच सकेंगे !
नई दिल्ली – सोने के आभूषणों पर ‘हॉलमार्किंग’ होना १५ जून से अनिवार्य बनाया गया है । १४, १८ और २२ कैरट के सोने के आभूषणों पर ‘हॉलमार्क’ होने पर ही उनकी बिक्री की जा सकेगी, अन्यथा संबंधित सर्राफा व्यावसायी को आभूषण के मूल्य का पांच गुना जुर्माना अथवा एक वर्ष के कारावास का दंड हो सकता है । हॉलमार्किंग के लिए पंजीकरण प्रक्रिया ऑनलाइन पद्धति से भी उपलब्ध कराई गई है । हॉलमार्किंग के कारण ग्राहकों के साथ धोखाधडी न होकर उन्हें शुद्ध सोना मिलेगा ।
आजकल देश के ४० प्रतिशत सोने के आभूषणों पर हॉलमार्क होता है । भारत में अनुमानित ४ लाख सर्राफा व्यावसायी (ज्वेलर्स) हैं । उनमें से केवल ३५ सहस्र ८७९ व्यावसायी ही भारतीय मानक कार्यालय द्वारा (‘बी.आइ.एस.’) प्रमाणित हैं ।
Hallmarking on gold jewellery and related items is set to become mandatory from today
Here's all you need to know https://t.co/ssNkt3iEJm
— Hindustan Times (@htTweets) June 15, 2021
‘हॉलमार्किंग’ क्या है ?
सोना, चांदी और प्लैटिनम की शुद्धता का प्रमाणीकरण करने का एक साधन है हॉलमार्किंग ! हॉलमार्किंग की संपूर्ण प्रक्रिया पूरे देश में स्थित हॉलमार्किंग केंद्रों पर की जाती है । उसका निरीक्षण भारतीय मानक कार्यालय के द्वारा (‘बी.आइ.एस.’) की जाती है । यदि आभूषणों पर हौलमार्क हो, तो वह ‘शुद्ध’ है, ऐसा प्रमाणित किया जाता है । इसलिए, सोना खरीदने से पूर्व उसपर ‘बी.आइ.एस.’ का हॉलमार्क है अथवा नहीं, इसकी आश्वस्तता करना आवश्यक है । भारतीय मानक कार्यालय का मूल हॉलमार्क त्रिकोणीय आकार वाला है । उसपर हॉलमार्किंग केंद्र के लोगों के साथ सोने की शुद्धता भी लिखी होती है । साथ ही उसपर उन आभूषणों के उत्पादन का वर्ष और निर्माता का लोगो भी होता है ।