यूरेनियम की तस्करी एवं भारत की सुरक्षा !

(सेवानिवृत्त) ब्रिगेडियर हेमंत महाजन

     ‘मुंबई में कुछ दिन पूर्व ही आतंकवाद विरोधी दल ने २१ करोड रुपए का ७ किलो १०० ग्राम यूरेनियम पकडा था । ‘यूरेनियम खुली हाट में नहीं मिलता । यह प्राकृतिक यूरेनियम था ।’ डॉ. भाभा परमाणु अनुसंधान संस्था ने ऐसा बताया है । परमाणुशक्ति से बिजली तैयार करने के लिए परमाणु संयंत्र में कच्चे माल के रूप में इस यूरेनियम का उपयोग किया जाता है । प्राकृतिक यूरेनियम का उपयोग किए जाने के उपरांत जो ‘बाईप्रोडक्ट’ बाहर निकलकर आता है, उसे ‘प्लूटोनियम’ कहा जाता है । एक अच्छे परमाणु संयंत्र से प्रतिवर्ष जो प्लूटोनियम मिलता है, उससे २ से ३ परमाणु बम तैयार किए जा सकते हैं । इसका अर्थ कोई भी सामान्य व्यक्ति प्राकृतिक युरेनियम का उपयोग नहीं कर सकता । उसका उपयोग केवल न्यूक्लियर रिएक्टर में ही किया जाता है । यह यूरेनियम भारत में नहीं मिलता । भारत के परमाणु संयंत्र थोरियम से चलाए जाते हैं ।

     नागपाडा में भंगार (कचरा) इकट्ठा करनेवाले कुछ लोग हैं, उनके पास बाहर के देशों से कचरा आता है । उसके माध्यम से यह प्राकृतिक यूरेनियम आया होगा । अधिकतर जो भंगार समुद्रीमार्ग से कंटेनर से आता है, उसकी पडताल जवाहरलाल पोेर्ट ट्रस्ट अथवा मुंबई बंदरगाह में की जाती है । उससे भी वह आगे निकल सका, तो निश्चित रूप से हमारी सुरक्षा व्यवस्था अपेक्षित स्तर की नहीं है, यह निश्चित हो जाएगा । ‘सीआईएसएफ’ और सीमा शुल्क (कस्टम) आदि विभागों को अपने काम में सुधार लाने होंगे ।

     यदि यह कचरा तस्करी के माध्यम से आया होगा, तो इसका अर्थ हमारी समुद्री सुरक्षा सक्षम नहीं है, अपितु उसे और सक्षम बनाना आवश्यक है । यदि इस प्राकृतिक यूरेनियम का उपयोग भारत को परमाणु बम बनाने के लिए करना संभव नहीं हुआ, तब भी उससे बाहर निकलनेवाले ‘क्ष’ किरणों के कारण (रेडिएशन के कारण) लोगों का स्वास्थ्य संकट में पड सकता है । इस प्रकार भारत में यूरेनियम का आना अवैध होने के कारण इस घटना की गहन जांच की जानी चाहिए । हमारी सुरक्षा में जहां से छेद पडा हो, उसे तुरंत बंद करना आवश्यक है । प्राकृतिक यूरेनियम चाहे किसी भी माध्यम से भारत में आया हो, तब भी समय रहते उसे रोक लेना देश की सुरक्षा की दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण है ।’

– (सेवानिवृत्त) ब्रिगेडियर हेमंत महाजन, पुणे, महाराष्ट्र. (२९.५.२०२१)