एक हिन्दू वृद्धा की कोरोना से मृत्यु होने उपरांत धर्मांतरित ईसाई लड़के द्वारा शव को दफनाने की मांग नाती ने ठुकराते हुए अंतिम संस्कार किया ।
हिन्दुओं को ऐसी आदर्श युवतियों से की सीख लेनी चाहिए जो हिन्दू संस्कारों के अनुरूप अपने कर्तव्य निभाती हैं!
ग्वालियर (मध्य प्रदेश) – यहां कोरोना संक्रमण से मृत होनेवाल वाली एक वृद्ध महिला का अंतिम संस्कार करने से उनके धर्मांतरित ईसाई बेटे ने इनकार कर दिया । यह पता चला है कि झारखंड से ११०० किलोमीटर की दूरी तय कर वृद्धा की पोती ने आकर पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार किया ।
इस वृद्धा का नाम सरोज देवी है। उनके पुत्र धर्म प्रताप सिंह ने धर्म परिवर्तन कर अपना नाम बदलकर डेविड रख लिया है। डेविड ने कहा था ”सरोज देवी को ईसाई धर्म के अनुसार ही दफनाया जाना चाहिए ।” इसका उनकी नाती श्वेता सुमन ने विरोध किया । “चूंकि नानीजी ने धर्मांतरण नहीं किया था, इसलिए उनके शरीर का सनातन धर्म के अनुसार अंतिम संस्कार किया जाएगा,” उसने कहा। श्वेता ने पुलिस से यह भी पता लगाने को कहा है कि उसके मामा डेविड के ऐसी मांग करने के पीछे कौन है । यह मांग उन्होंने जिलाधीश से भी की है।