परात्‍पर गुरु डॉ. आठवलेजी के चरणों से प्रक्षेपित होनेवाली गुलाबी रंग की प्रीतिदर्शक तरंगों के स्‍पर्श से चप्‍पलों पर गुलाबी रंग की आभा छाना

श्रीचित्‌शक्‍ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळ

     ‘वर्ष २०११ में परात्‍पर गुरु डॉ. आठवलेजी द्वारा उपयोग की जा रही रबर की चप्‍पलों पर मध्‍यभाग में गुलाबी रंग का पट्टा आगे से पीछे की ओर उभरा था । इसके आठ-दस दिनों में ही चप्‍पलों पर उंगलियों के स्‍थान पर भी गुलाबी आभा छानी आरंभ हो गई । इस भाग में एक प्रकार की सुगंध भी आ रही है । इसकी कारणमीमांसा यहां दे रहे हैं ।

१. चप्‍पलों के मध्‍य पर प्रीतिदर्शक तरंगें घनीभूत होना

     चप्‍पलों पर पैर रखने पर पैर के मध्‍य भाग की रिक्‍ति में ये प्रीतिदर्शक तरंगें घनीभूत होने से उनका गुलाबी रंग चप्‍पल के मध्‍यभाग में दिखाई देने लगा ।

२. प्रीतिदर्शक तरंगों के कार्य की व्‍याप्‍ति बढना

     जैसे-जैसे कार्य की व्‍याप्‍ति बढने लगी, वैसे ही पैर के पीछे की दिशा से भी इन तरंगों का प्रक्षेपण होने लगा और वही गुलाबी पट्टा चप्‍पल के आगे से पीछे की ओर बढने लगा ।

३. चप्‍पलों पर उंगलियों के स्‍थान पर भी गुलाबी आभा छाना प्रारंभ होना

    अब तो पैरे की उंगलियों से भी बडी मात्रा में प्रीतिदर्शक तरंगों का समष्‍टि के कल्‍याण के लिए प्रक्षेपण आरंभ होने से उंगलियों के स्‍पर्श से चप्‍पल के अगले भाग में उंगलियों के स्‍थान पर गुलाबी आभा के माध्‍यम से दिखाई देने लगा है ।

४. चरणों के माध्‍यम से प्रीतिदर्शक तरंगों के प्रक्षेपण से
ईश्‍वरीय राज्‍य की आध्‍यात्‍मिकदृष्‍टि से उपजाऊ भूमि तैयार होना प्रारंभ

     पृथ्‍वीतत्त्व के स्‍तर पर प्रीति रूपी तरंगों का जिस समय चरणों के माध्‍यम से बडी मात्रा में भूमि से संलग्‍न प्रक्षेपण आरंभ होता है, तब भारी मात्रा में भूभाग में प्रीति तत्त्व के बीजों का रोपण होता है और इसी से ईश्‍वरीय राज्‍य की आध्‍यात्‍मिक दृष्‍टि से उपजाऊ भूमि तैयार होने लगती है ।

५. अच्‍छे साधकों का जन्‍म लेना

     आगे इसी भूभाग पर जन्‍म लेनेवाले जीव वास्‍तव में ही अच्‍छे साधक के रूप में जन्‍म लेते हैं ।

६. गुलाबी रंग की मीठी गंध से होनेवाला तारक तत्त्वरूपी कार्य और उसके परिणाम

अ. गुलाबी रंग में एक प्रकार की मीठी सुगंध समाहित होती है । यह मीठी सुगंध तारक तत्त्व से संबंधित होती है ।
आ. तारक तत्त्व की सहायता से साधकों के भाव में वृद्धि होने से उसकी ईश्‍वरप्राप्‍ति की चाह लगन बढती है ।
इ. इससे उसकी ईश्‍वरप्राप्‍ति की लगन में वृद्धि होने से आपातकाल में उनकी रक्षा होने में सहायता मिलती है ।’
– एक विद्वान (श्रीचित्‌शक्‍ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळ ‘एक विद्वान’ इस उपनाम से भी लेखन करती हैं । (४.४.२०११)

विशेषज्ञ, अध्‍ययनकर्ता एवं वैज्ञानिक दृष्‍टि से शोधन करनेवालों से विनती !

     ‘संतों द्वारा उपयोग की गई वस्‍तुओं में हुए बुद्धिअगम्‍य परिवर्तनों के विषय में शोध कर उनका कार्यकारणभाव ढूंढने के लिए साधक प्रयत्न कर रहे हैं । इसके लिए
१. परात्‍पर गुरु डॉ. आठवलेजी की चप्‍पलों पर गुलाबी आभा छाने का क्‍या कारण है ?
२. परात्‍पर गुरु डॉ. आठवलेजी की गुलाबी आभा से युक्‍त चप्‍पलों को सुगंध आने का क्‍या कारण है ?
इस संदर्भ में विशेषज्ञ, अध्‍ययनकर्ता, इस विषय की शिक्षा लेनेवाले विद्यार्थी और वैज्ञानिक दृष्‍टि से शोधन करनेवालों की हमें सहायता मिले, तो हम कृतज्ञ रहेंगे ।’
– व्‍यवस्‍थापक, सनातन आश्रम, रामनाथी, गोवा.

संपर्क : श्री. रूपेश रेडकर,
इमेल : mav.research2014@gmail.com