‘आगामी आपातकाल की संजीवनी’ शृंखला के ग्रंथ ! नामजप-उपचार (३ खण्‍ड)

विकार-निर्मूलन हेतु नामजप

     देवता का नामजप उपासना तथा विकारों के निर्मूलन के लिए भी उपयुक्‍त होता है । नामजप करने से शरीर में संबंधित देवता के विशिष्‍ट कंपन उत्‍पन्‍न होते हैं । ये कंपन विकारद्वारा शरीर में उत्‍पन्‍न अप्राकृतिक अथवा प्रमाणबाह्य कंपनों को सामान्‍य बनाने हेतु अर्थात विकार-निर्मूलन हेतु सहायक होते हैं ।

नामजपोंसे दूर हो पानेवाले विकार

     प्रस्‍तुत ग्रंथ में कुछ देवताआें के नामजप (विशेषतः अपने उपास्‍यदेवता का नामजप) किन-किन विकारों में उपयुक्‍त हैं, यह एक ही दृष्‍टि में समझने के लिए सूची के रूप में दिए हैैं । विकार-निर्मूलन हेतु नामजप के अनुसार हाथ की मुद्रा तथा न्‍यास करने से उपचार भी अधिक प्रभावी होते हैं । इसलिए ग्रंथ में यह जानकारी भी दी गई है ।

विकारोंके अनुसार नामजप-उपचार

    प्रस्‍तुत ग्रंथ में ३०० से अधिक विकारों के लिए नामजप बताया गया है । इसमें स्‍त्रियों के विकार, शिशुओं के विकार आदि का भी अलग से विचार किया गया है । ग्रंथ में अगले चरणों में शब्‍दब्रह्म (गायत्री मंत्र के शब्‍दों का नामजप), अक्षरब्रह्म (देवता का तत्त्व अथवा शक्‍ति केंद्रीभूत हुए अक्षरों का नामजप), बीजमंत्र तथा अंकजप भी दिए गए हैं ।

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