अमेरिकी गुप्तचरों के हाथ लगी चीनी वैज्ञानिकों की रिपोर्ट !
विगत ६ वर्षों से, चीन जैविक अस्त्रों के साथ तीसरे विश्व युद्ध की योजना बना रहा है !
यह ध्यान में आता है कि, कोरोना संकट वर्तमान में चीन द्वारा प्रारंभ किया गया तीसरा विश्व युद्ध है ! इसलिए, अब संपूर्ण विश्व को एकत्रित होकर चीन के विरुद्ध खडा होना होगा !
वाशिंगटन (अमेरिका) – भारत में कोरोना संक्रमण बढ रहा है । प्रतिदिन ४ लाख से अधिक लोग इससे संक्रमित हो रहे हैं, जबकि प्रतिदिन ४ सहस्त्रों से अधिक लोगों की मृत्यु हो रही हैं । कोरोना के नए संस्करण उभर रहे हैं । ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका एवं भारत में इसके प्रकार सामने आए हैं । कोरोना की उत्पत्ति चीन में हुई थी, इसे अब लोग भुलने लगे हैं तथा चीन में इसका प्रभाव कब का न्यून हो गया है एवं पूर्व जैसा परिवहन अभी आरंभ हुआ है । ऐसे में अमेरिकी गुप्तचर विभाग ने चीन की एक रिपोर्ट ढूंढ निकाली है । १८ विशेषज्ञों द्वारा लिखी गई रिपोर्ट में पाया गया कि, चीन विगत छह वर्षों से तृतीय विश्व युद्ध के लिए कोरोना जैसा एक जैविक अस्त्र निर्माण कर रहा था, एवं उसने वास्तव में कोरोना के माध्यम से तीसरा युद्ध शुरू किया है । इस प्रकार का जैविक अस्त्र इस युद्ध का मुख्य अस्त्र होगा ।
१. रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने ही वर्ष २०१५ में ‘सार्स’ विषाणु को एक सैन्य के अस्त्र के रूप में ही सिद्ध किया था । रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि, चीनी सैनिकों ने ऐसा जैविक अस्त्र इसके पूर्व कभी नहीं देखा था ।
२. रिपोर्ट कहती है कि, चूंकि कोरोना जैसा अस्त्र तृतीय विश्व युद्ध के लिए ही विकसित किया गया था । इसलिए, यह भी निर्धारित किया गया है कि किन परिस्थितियों में इसका उपयोग जाएगा, जिससे अधिकाधिक हानि होगी ।
३. रिपोर्ट में दावा किया है कि, चीनी वैज्ञानिकों के अनुसार, दिन में जैविक अस्त्रों का आक्रमण नहीं होगा ; क्योंकि, सूर्य के प्रकाश के कारण जैविक अस्त्र द्वारा छोडे गए विषाणु नष्ट हो सकते हैं । जब वर्षा या बर्फबारी हो, सुबह या सायंकाल बादल छाए हुए हों, तब इसे हवा की दिशा में उपयोग में लाना चाहिए । इस प्रकार के आक्रमण से चिकित्सालय में आने वाले रोगियों की संख्या बढ जाएगी ।
४. ब्रिटेन की विदेश प्रकरणों की समिति के अध्यक्ष एवं सांसद टॉम टुगेधांत ने कहा कि, ‘आप इसे नियंत्रित करने का कितना भी प्रयास क्यों न कर लें, ये शस्त्र अधिक विनाशकारी होंगे ।’