क्या भारतीय सेना, अर्धसैनिक बलों आदि की सहायता ली जा सकती है ? – केंद्र सरकार से सर्वोच्च न्यायालय का प्रश्न

यदि यह राष्ट्रीय आपातकाल नहीं है तो यह क्या है ?

सर्वोच्च न्यायालय

नई दिल्ली : भारतीय सेना, अर्धसैनिक बल एवं भारतीय रेलवे के डॉक्टर, केंद्र के नियंत्रण में आते हैं । क्’या अलगीकरण, टीकाकरण या अन्य स्थानों पर उनकी सहायता लेना संभव है ? इसपर क्या राष्ट्रीय योजना है ?’, ऐसे प्रश्न सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से पूछे । अभी टीकाकरण बहुत महत्वपूर्ण हो गया है । टीकों के मूल्य पर केंद्र सरकार क्या कर रही है ? ’, न्यायालय ने यह भी प्रश्न पूछा । सर्वोच्च न्यायालय ने कोरोना के बढते संकट को दूर करने के लिए केंद्र सरकार से एक ठोस राष्ट्रीय योजना की मांग की थी । इस पर २७ अप्रैल को सुनवाई हुई । इस सुनवाई के दौरान सरकार द्वारा उनकी योजना प्रस्तुत की गई ; परंतु, सर्वोच्च न्यायालय ने उसपर असंतोष व्यक्त किया एवं उपर्युक्त प्रश्न पूछे ।

. न्यायालय ने आगे प्रश्न उठाए, ‘यदि यह राष्ट्रीय आपातकाल नहीं है तो क्या है ? टीके के विभिन्न मूल्यों पर केंद्र की भूमिका क्या है ?’ सुनवाई के समय प्राणवायू (ऑक्सीजन) एवं टीके की आपूर्ति पर भी चर्चा हुई ।

. न्यायालय ने आगे कहा कि, ‘सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई का अर्थ विभिन्न उच्च न्यायालयों में हो रही सुनवाई को रोकना नहीं है । उच्च न्यायालय स्थानीय स्थिति से अच्छी तरह से अवगत होते हैं । सर्वोच्च न्यायालय के लिए राष्ट्रीय सूत्रों पर ध्यान देना आवश्यक है । ऐसी स्थिति में, सर्वोच्च न्यायालय केवल दर्शक की भूमिका नहीं निभा सकता । हम राज्यों में समन्वय स्थापित करने के लिए काम करेंगे ।’

. सर्वोच्च न्यायालय ने राज्यों से स्वास्थ्य के आधारभूत सुविधाओं के विषय में सूचना देने के लिए कहा है तथा आगे की सुनवाई ३० अप्रैल को होगी ।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा केंद्र सरकार को दिए गए निर्देश !

. प्राणवायू की आपूर्ति के संबंध में केंद्र को वर्तमान स्थिति स्पष्ट करनी होगी । कितना प्राणवायू है ? राज्यों की कितनी आवश्यकता है ? केंद्र से राज्यों को हो रहे प्राणवायू वितरण का आधार क्या है ? राज्यों को इसकी कितनी आवश्यकता है, यह शीघ्रता से जानने के लिए कया प्रक्रिया अपनाई गई है ?

. गंभीर हो रही स्वास्थ्य की आवश्यकताओं को बढाया जाना चाहिए । कोविड की बेड्स बढानी चाहिए ।

. रेमडेसिवीर एवं फेवीप्रिवीर जैसी आवश्यक दवाओं की न्यूनता दूर करने के लिए क्या कदम उठाए गए, उनके विषय में बताइए ।