शालाओं में ‘स्वस्तिक’ यह चिन्ह धार्मिक घृणा के प्रतीक के रूप में सीखाने की मांग करने वाला विधेयक वापस लिया गया !
अमरिका में हिंदुओं, जैन एवं बौद्धों के विरोध का प्रभाव !
विदेशों में हिंदू ऐसे अपमान के संदर्भ में सतर्क रहकर इसका विरोध करते हैं तथा इसमें सफल होते हैं ; परंतु, बहुसंख्यक हिंदुओं के देश में, अनेक बार हिंदू ही अपने धर्म का अपमान करते हैं तथा अन्य हिंदू इसका विरोध भी नहीं करते, यह हिंदुओं के लिए लज्जास्पद है !
न्यूजर्सी (अमरिका ) – न्यूयॉर्क में शालाओं में ‘स्वस्तिक’, यह घृणा एवं असहिष्णुता के प्रतीक के रूप में पढाया जाए, ऐसी मांग करने वाला एक विधेयक अमरिकी संसद में प्रस्तुत किया गया था । वह विधेयक अंततः हिंदुओं, जैन एवं बौद्धों के विरोध के कारण वापस ले लिया गया । इस विधेयक को सांसद डेविड कामिंस्की द्वारा प्रस्तुत किया गया था तथा उनके ही द्वारा वापस ले लिया गया । इस निर्णय का हिंदू समर्थक संगठन ‘उत्तरी अमेरिका के हिंदुओं का गठबंधन (कोलिशन ऑफ हिंदूस ऑफ नॉर्थ अमेरिका)’ ने स्वागत किया है ।
इस प्रकार के विधेयक का न्यूयॉर्क के शालाओं के हिंदू छात्रों पर नकारात्मक प्रभाव पड सकता है । साथ ही, हिंदुओं, बौद्धों, जैनियों, मूल अमरिकियों एवं अन्य जैसे ३०० करोड से अधिक लोग स्वस्तिक चिन्ह को शांति, कल्याण एवं समृद्धि का प्रतीक मानते हैं । उपर्युक्त हिंदू संगठन ने यह भी कहा है कि, ‘हिटलर एवं नाजी सेना द्वारा उपयोग किया गया ‘हॅकनक्रूझ’ (हुक क्रॉस) यह घृणा का प्रतीक है ; इसलिए, स्वस्तिक चिन्ह को मृत्यु एवं विनाश का प्रतीक मानने से लोगों में गलत धारणा प्रसारित होगी ।’