भाषण की स्वतंत्रता द्वारा दूसरों की धार्मिक भावनाओं को आहत नहीं किया जा सकता है ! – इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ न्यायपीठ
न्यायालय का यह वक्तव्य उन लोगों के चेहरे पर एक तमाचा ही है, जो बोलने की एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को आहत करते हैं तथा ऐसा करने वालों का समर्थन करते हैं !
लक्ष्मणपुरी (लखनऊ, उत्तर प्रदेश) – ‘यद्यपि संविधान बोलने की स्वतंत्रता प्रदान करता है, इसका अर्थ यह नहीं है कि कोई अन्य धर्मों के विरुद्ध बोल सकता है तथा उन धर्मों की धार्मिक भावनाओं को आहत कर सकता है’, ऐसे कहते हुए, इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ न्यायपीठ ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के कार्यकर्ता मोहम्मद नदीम को फटकार लगाई तथा न्यायालय ने उसका अंतरिम जमानत का प्रार्थना पत्र निरस्त कर दिया । नदीम ने बाराबंकी में अपने भाषण में, अयोध्या में श्री राममंदिर के भूमिपूजन पर धार्मिक भावनाओं को भडकाने वाला भाषण दिया था । उसके विरुद्ध अपराध का प्रकरण प्रविष्ट किया गया है ।