दोषियों पर धारा ३०२ के अंतर्गत कार्यवाही करें ! – आरोग्य साहाय्य समिति द्वारा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग

     ऐसी मांग क्‍यों करनी पडती है ? असंवेदनशील और अमानवीय अस्‍पतालों और डॉक्‍टरों के विरुद्ध कोई कार्रवाई क्‍यों नहीं की जाती ?

जिलाधिकारी को निवेदन देते हुए स्वास्थ्य सहायता समिति के कार्यकर्ता

     वाराणसी (उत्तर प्रदेश) – प्रयागराज के करेली में रहनेवाले मुकेश मिश्री की ३ वर्षीय बेटी खुशी की ७ दिन पूर्व मृत्‍यु हो गई । यहां के ‘युनाइटेड मेडिसिटी’ अस्‍पताल में लडकी की सर्जरी करने पर उसके अभिवावकों द्वारा शुल्‍क न भरने के कारण लडकी के पेट में टांके लगाए बिना ही उसे अस्‍पताल से बाहर निकालने पर उसकी मृत्‍यु हो गई थी ।

     यह एक प्रकार से हत्‍या ही है । वर्तमान वैद्यकीय सेवा एक कॉर्पोरेट व्‍यवसाय बनने का यह दुष्‍परिणाम है । इसमें दोषी डाक्‍टर और कर्मचारी के विरोध में जिलाधिकारी को तत्‍काल धारा ३०२ के अंतर्गत गुनाह प्रविष्‍ट करना चाहिए, ऐसा निवेदन आरोग्‍य साहाय्‍य समिति की ओर से वाराणसी जिलाधिकारी के माध्‍यम से मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ को दिया गया है ।

     इस समय अधिवक्‍ता अरुण कुमार मौर्य, अधिवक्‍ता स्‍वतंत्र तिवारी, ‘जागरूक एक्‍सप्रेस’ नियतकालिक के पत्रकार श्री. आई.बी. जायसवाल, ‘काशीवार्ता’ के पत्रकार श्री. राजेश सेठ, आरोग्‍य साहाय्‍य समिति के डॉ. अजय कुमार जायसवाल, सनातन संस्‍था के श्री. गुरुराज प्रभु और हिन्‍दू जनजागृति समिति के उत्तर प्रदेश और बिहार राज्‍य समन्‍वयक श्री. विश्‍वनाथ कुलकर्णी और श्री. राजन केशरी उपस्‍थित थे । युनाइटेड मेडिसिटी अस्‍पताल को बंद करने की मांग इस निवेदन में की गई । (१५.३.२०२१)