बुरका पहनना कट्टरता का लक्षण होने के कारण श्रीलंका बुरका पहनने पर प्रतिबंध लगाएगा !
- कहां एक जिहादी आक्रमण होने पर इस प्रकार के कठोर निर्णय लेनेवाली श्रीलंका, तो कहां पिछले ३ दशकों से सहस्रों जिहादी आतंकवादी आक्रमण होकर उसमें सहस्रों नागरिकों की मृत्यु होने पर भी निष्क्रिय रहनेवाला भारत !
- भारत में मदरसों से आतंकवादी निर्माण होने का उजागर होने पर भी वे बंद करने की अपेक्षा उन्हें सरकार की ओर से करोडों रुपयों का अनुदान देकर पाला जा रहा है, यह ध्यान दें !
कोलंबो (श्रीलंका) – राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से देश में बुरके पर प्रतिबंध लगानेवाले प्रस्ताव पर हमने हस्ताक्षर किए हैं । उसी तरह १ सहस्र से अधिक मदरसों को बंद किया जाएगा । अब यह प्रस्ताव मंत्रीपरिषद की मान्यता के लिए भेजा जाएगा, ऐसी जानकारी श्रीलंका के सार्वजनिक सुरक्षामंत्री सरथ वीरशेखर ने एक पत्रकार परिषद में दी । ‘हमारे समय में मुसलमान महिलाएं और लडकियां बुरका नहीं पहनती थीं । बुरका पहनना धार्मिक कट्टरता का प्रतीक होकर पिछले कुछ समय में बुरका पहनना प्रचलित हुआ है । इस कारण हम बुरके पर प्रतिबंध लगाने ही वाले हैं । उसी प्रकार ‘कोई भी विद्यालय खोलकर वो जैसा चाहें, बच्चों को पढा नहीं सकते’, ऐसा भी उन्होंने कहा ।
जिहादी आतंकवादियों के चर्च और होटल पर आक्रमण करने के बाद वर्ष २०१९ में श्रीलंका में बुरके पर क्षणिक प्रतिबंध लगाया गया था ।
जिहादी आतंकवाद को प्रोत्साहन देने के कारण श्रीलंका में जमात-ए-इस्लामी आतंकवादी संगठन के रशीद हज्जूल अकबर, इस ६० वर्षीय पूर्व प्रमुख को हिरासत में लिया गया । वह २०१९ तक २४ वर्ष जमात-ए-इस्लामी का प्रमुख था । (१५.३.२०२१)