‘उपासना स्थल’ अधिनियम को आह्वान देने वाली याचिका के विरुद्ध मस्जिद के संरक्षक द्वारा याचिका
मुगल आक्रमणकारियों ने देश के सहस्रों हिन्दू मंदिरों पर अतिक्रमण कर उनकी तोडफोड करके नियंत्रण कर लिया है । इस कानून ने उसे सुरक्षा दी है । अब, यदि इस कानून को रद्द किया जाता है, तो धर्मांधों को ऐसे मंदिरों पर से अपना नियंत्रण हटाना होगा । धर्मांधों में सर्वधर्मसमभाव न होने के कारण वे ऐसा विरोध कर रहे हैं !
नई देहली : अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका प्रविष्ट की है, जिसमें उपासना अधिनियम, १९९१ का आह्वान किया गया है । लक्ष्मणपुरी के टीलेवाली मस्जिद के संरक्षक वसीफ हसन ने इस याचिका का विरोध किया है तथा याचिका प्रविष्ट कर उसे अस्वीकार करने की मांग की है ।
हसन ने अपनी याचिका में कहा है, कि याचिका का उद्देश्य देश में मुसलमानों को (अन्य लोगों से) अलग करना है । यह दिखाने का भी प्रयास किया गया है कि विदेशी आक्रमणकारियों ने भारत में धार्मिक स्थलों को ध्वस्त कर दिया है । (तो इसमें चूक क्या है ? यह इतिहास है ! – संपादक) भारतीयों को जितना गर्व हरिद्वार एवं बदरीनाथ के मंदिरों पर है; उतना ही गर्व लक्ष्मणपुरी तथा देहली के मस्जिदों पर है । गोवा के चर्च एवं असम का कामाख्या मंदिर भारतीयों के लिए समान रूप से प्रिय हैं ।