जीवन का सार बताने वाली श्रीमद्भगवद्गीता को पाठशाला के पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया जाना आवश्यक ! – अभिनेत्री मौनी रॉय
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मुंबई : ‘परिवहन प्रतिबंध (लॉक डाऊन) के काल में मैं बहुत धार्मिक हो गई थी । उस समय मैं अपने मित्र द्वारा चलाए जा रहे गीता के वर्ग में सहभागी हुई थी । मुझे लगता है कि पाठशाला के पाठ्यक्रम में श्रीमद्भगवद्गीता को सम्मिलित किया जाना चाहिए । यह केवल एक धार्मिक पाठ नहीं है, अपितु यह जीवन का सार है । खरा ज्ञान है । हमारे मन जो भी प्रश्न आता है, गीता में उसका उत्तर होता ही है’, ऐसा प्रतिपादन एक समाचार जालस्थल के साथ किए एक साक्षात्कार में अभिनेत्री मौनी रॉय ने किया ।
मौनी रॉय ने कहा,
१. हमारे घर में बाल्यावस्था से ही गीता का पठण किया जाता था । मैंने तब गीता पढने का प्रयास किया था ; परंतु, उस समय मैं अधिक समझ नहीं पाती थी । अब श्रीमद्भगवद्गीता का महत्व मेरे ध्यान में आया है तथा पूरे विश्व में इसका प्रसार करने के लिए मैं काम कर रही हूं ।
२. चलचित्र सृष्टि में काम करने वाले प्रत्येक को गीता पढनी चाहिए ; क्योंकि, इस क्षेत्र में व्यक्ति इतना व्यस्त हो जाता है कि वह स्वयं को भूल जाता है । ऐसे समय गीता सहायता कर सकती है ।
३. हम अज्ञानी हैं । वास्तव में, हम वेदों, उपनिषदों आदि ग्रंथों के देश से हैं और हम इस विषय में कुछ भी नहीं करते । हम एक सोने की खान पर बैठे हैं एवं इसके संदर्भ में निष्क्रिय हैं । चाहे वह गांव हो या शहर, सभी को गीता की अत्यधिक आवश्यकता है ।