हरिद्वार के हरिपुर कला के रास्तों के साथ सप्त सरोवर रास्तों की बुरी अवस्था के कारण भक्तों में गुस्सा !
कुंभ जैसे बडे उत्सव की उत्तराखंड प्रशासन ने किस प्रकार तैयारी की है, यह इससे दिखाई दे रहा है । अब सरकार को इसमें हस्तक्षेप कर प्रशासन से संबंधितों पर कार्यवाही करना आवश्यक !
हरिद्वार, १९ मार्च (वार्ता) – ‘हरिकी पौडी’ से कुछ दूरी पर स्थिर हरिपुर कला ग्रामपंचायत के रास्तों के साथ सप्त सरोवर मार्ग की बडे प्रमाण में बुरी अवस्था हो गई है । कुंभ मेला कुछ दिनों के बाद शुरू होने वाला है लेकिन अभी भी कुंभकर्ण की नींद में सोए प्रशासन की ओर से किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं की गई है । (इससे उत्तराखंड राज्य के प्रशासन की (अ)कार्यक्षमता दिखाई देती है । यदि अन्य पंथियों का बडा उत्सव होता, तो प्रशासन ने इस प्रकार रस्ते बुरी अवस्था में रखे होते क्या ? -संपादक) इस प्रकार कुंभमेला के लिए आए भक्तों में प्रशासन को लेकर गुस्से की भावना निर्माण हुई है ।
१. हरिपुर कला ग्रामपंचायत, हरिद्वार नगरपालिका और मेला अधिकारियों के क्षेत्रों में बडे पैमाने पर अनाधिकृत निर्माण कार्य चालू है । इस ओर सभी प्राधिकरणों का पूर्ण रुप से दुर्लक्ष है । इसका परिणाम यह कि इस स्थान पर मुख्य, उसी प्रकार अंतर्गत रास्तों पर निर्माण कार्य का सामान अस्तव्यस्त पडा है ।
२. विशेष यह कि सप्त सरोवर मार्ग, हरिपूर कला इन स्थानों कर सबसे अधिक आश्रम हैं । यहां के रास्तों में अनेक स्थानों पर गड्ढे हो गए हैं । इस कारण वहां पर बहुत अधिक धूल हो गई है । निर्माण कार्य के लिए आई रेत- गिट्टी रास्तों पर फैली है । इसमें इस मार्ग से वाहनों की आवाजाही के कारण धूल उडने से यहां के निवासियों को श्वास की परेशानी होने लगी है । यहां के आश्रमों में देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं ; इसलिए, प्रशासन अपनी अकार्यक्षमता की निर्लज्जता की परिसीमा लांघ रहे हैं l
३. यदि किसी स्थान से मुख्यमंत्री जाने वाले होते हैं या किसी स्थान पर वे उद्घाटन के लिए आने वाले हैं, तो उस स्थान के रास्तों पर तात्कालिक लीपापोती का काम किया जाता है ।
४. मंत्री केकार्यक्रम में उपस्थित रहने तक रास्तों के ऊपर का कूडा निकाला जाता है । कार्यक्रम समाप्त होते ही अगले ही क्षण से पुन: रिस्तों पर कूडे का ढेर दिखने लगता है । देश में सभी ओर ऐसा ही चित्र होने के कारण हरिद्वार अपवाद नहीं रहा, इसका अनुभव नेत्रकुंभ के उद्घाटन के समय भक्तों को हुआ ।
५. हरिकी पौडी, कनखल, भीमगोडा आदि स्थानों पर रस्ते हैं; लेकिन उन मार्गों पर दोनों ओर वाहनों की ‘पार्किग’ भक्तों के लिए सरदर्द हो गई है । संकरे रास्ते और वाहनों की बढती संख्या के कारण जाम लगना नित्य का विषय हो गया है । इस जाम से निकलने के लिए प्रत्येक को जल्दी होने से सतत हॉर्न बजाए जाते हैं। इस कारण वायु- प्रदूषण के साथ ध्वनि-प्रदूषण भी इस क्षेत्र में अधिक है ।