हिंंदु जनजागृति समिति का आपात्काल के विषय में जनजागृति का कार्य कालानुरूप ! – पूज्य श्री तारा मां

‘कुंभ महिमा’ (आपात्काल की पूर्वसिद्धता विशेष) इस विशेषांक का प्रकाशन करते समय पूज्य श्री तारा मां और उनके बगल में हिंदू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरू डा. चारूदत्त पिंगले

हरिद्वार, १३ मार्च (वार्ता) – हिंदू जनजागृति समिति का आपात्काल के विषय में चालू जनजागृति का कार्य उत्तम होकर वह कालानुसार आवश्यक है । आपात्काल की पूर्वसिद्धता, उसी प्रकार वनस्पति की खेती इसके संबंध में जनजागृति होना आवश्यक है, ऐसा प्रतिपादन ‘श्री तारा मां मिशन’ की प्रेरणास्रोत पूज्य श्री तारा मां ने किया । हरिद्वार कुंभ मेले के निमित्त हिंदु जनजागृति समिति द्वारा प्रकाशित ‘कुंभ महिमा’ (आपात्काल की पूर्वसिद्धता विशेष) इस विशेषांक का प्रकाशन पूज्य श्री तारा मां के कर कमलों द्वारा किया गया । इस अवसर पर ‘श्री तारा मां मिशन’ के प्रमुख स्वामी श्री गोपाल जी, उनके भक्त, तथा हिंदू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरू डा. चारूदत्त पिंगले और समिति के उत्तराखंड समन्वयक श्री. श्रीराम लुकतुके उपस्थित थे ।

इस अवसर पर सद्गुरू डा. चारूदत्त पिंगले ने बताया कि, इस विशेषांक में कुंभ महिमा, हरिद्वार क्षेत्र महिमा, गंगा महिमा, आनंदी जीवन जीने के लिए, उसी प्रकार आपात्काल में तरने के लिए साधना की आवश्यकता, आपातकाल में जीवों का रक्षण होने के लिए शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्तरों पर करने की तैयारी आदि विषय के लेख प्रकाशित किए गए हैं ।

पू. श्री तारा मां का परिचय

थाने और पूना (महाराष्ट्र), गुडुवनचेरी (तमिलनाडू), हरिद्वार (उत्तराखंड), गुरूग्राम (हरियाणा), टेक्सास (अमेरिका) में पूज्य श्री तारा मां के आश्रम हैं । देश में कहीं भी प्राकृतिक आपदा आने पर ‘श्री तारा मां मिशन’ की ओर से आपात्कालीन सहायता की जाती है । पूज्य श्री तारा मां की प्रेरणा से आपदाग्रस्त अनाथ बच्चों के लिए विद्यालय चलाए जाते हैं । इन विद्यालयों में विद्यार्थियों को नैतिक शिक्षा के साथ उनके उपर साधना के संस्कार किए जाते हैं ।

पूज्य श्री तारा मां ने ‘हिंदू जनजागृति समिति’ का विशेषांक हाथ में लेते ही ‘‘आपका हिंदी विभाग कौन देखता है ?’’, ऐसा पूछते हुए ‘‘यह हिंदी अत्यधिक सुंदर है’’, ऐसा उत्स्फूर्त अभिप्राय व्यक्त किया । तब सद्गुरू डा. चारूदत्त पिंगले जी ने बताया कि, हिंदु जनजागृति समिति के प्रेरणास्रोत परात्पर गुरू डा. आठवले ने हमें संस्कृतनिष्ठ हिंदी उपयोग में लाने की शिक्षा दी है ।’’