महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय द्वारा अब तक संगीत के संदर्भ में किए गए विविध प्रयोग
नृत्य एवं संगीत के संदर्भ में अद्वितीय शोध करनेवाला महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय
महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के संस्थापक परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी के मार्गदर्शन में ६४ कलाआें में से गायन, वादन, नृत्य तथा नाटक (अभिनय) इन कलाआें के आध्यात्मिक पहलुआें, साथ ही भारतीय कलाआें की सात्त्विकता का अध्ययन आधुनिक उपकरणों द्वारा किया जा रहा है । इसके अंतर्गत भारतीय गायन, वादन, नृत्य, नाटक, के साथ पश्चिमी गायन, वादन, नृत्य तथा नाटक का तुलनात्मक अध्ययन भी किया जा रहा है । ‘भारतीय संगीत का व्यक्ति, प्राणी तथा वातावरण पर क्या परिणाम होता है ?’, इसके संदर्भ में ६०० से अधिक विविध प्रयोग किए गए हैं तथा अभी भी यह शृंखला चल रही है ।
इन प्रयोगों के लिए यू.ए.एस. इस आधुनिक उपकरण का उपयोग किया जा रहा है । इस उपकरण द्वारा ‘प्रयोग में सहभागी घटकों के सकारात्मक तथा नकारात्मक प्रभामंडल पर क्या परिणाम होता है ?’, इसका अध्ययन किया जा रहा है । यह सभी प्रयोग भारतीय तथा विदेशी साधकों पर एक साथ तथा अलग-अलग भी किए गए हैं । इन प्रयोगों से ज्ञात विशेष तथ्य, अर्थात भारतीय और पश्चिमी संगीत का जो परिणाम भारतीय साधकों पर हुआ, वही परिणाम विदेशी साधकों पर भी हुआ ।
इस प्रकार के आध्यात्मिक शोधकार्य महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय की विशेषता है । महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के माध्यम से गायन, वादन, नृत्य तथा नाटक इनके संदर्भ में अब तक किए गए विविध प्रयोगों की सूची नीचे दी है । इस संदर्भ में शोधकार्य की रुचि रखनेवाले contact4mav@gmail.com यहां जानकारी भेजें तथा अवश्य सहभागी होकर अपना योगदान दें ।
– कु. तेजल पात्रीकर, संगीत समन्वयक, महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय, गोवा