ब्राह्ममुहूर्त पर उठने के ९ लाभ !
सर्वप्रथम हम सब को यह ध्यान में लेना चाहिए कि ‘ब्रह्ममुहूर्त’ की अपेक्षा योग्य शब्द है ‘ब्राह्ममुहूर्त’ । ब्राह्ममुहूर्त सुबह ३.४५ से ५.३० अर्थात पौने दो घंटे का होता है । इसे रात्रि का ‘चौथा प्रहर’ अथवा ‘उत्तररात्रि’ भी कहते हैं । इस कालावधि में अनेक घटनाएं ऐसी होती हैं जिनसे हमें पूरे दिन के काम के लिए आवश्यक ऊर्जा मिलती है । इस मुहूर्त पर उठने से एक ही समय हमें ९ लाभ होते हैं ।
१. प्रचुर मात्रा में प्राणवायु का मिलना
इस कालावधि में ‘ओजोन’ वायु पृथ्वी के वातावरण में सबसे निचले स्तर में अधिक मात्रा में आया रहता है । इस ओजोन में मानव के श्वसन के लिए प्रचुर मात्रा में आवश्यक प्राणवायु (ऑक्सीजन) रहता है । इसलिए इस कालावधि में उठकर दायीं नासिका से आरंभ कर दीर्घ श्वसन करने से रक्तशुद्धि होती है । रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा बढने से हिमोग्लोबिन में सुधार होता है । इससे ९० प्रतिशत रोगों से मुक्ति मिलती है ।
२. इस कालावधि में मंद प्रकाश होता है । आंखें खोलने पर अकस्मात आंखों पर तीव्र प्रकाश पडने से कुछ समय तक हमें कुछ भी दिखाई नहीं देता । यदि निरंतर ऐसा होता रहे, तो आंखों में विकार उत्पन्न होते हैं एवं दृष्टि क्षीण हो सकती है । वैसा न हो, इस हेतु सितारों के अस्त होने से पूर्व ही उठ जाना चाहिए ।
३. अपानवायु का कार्य सुलभता से होना
इस कालावधि में पंचतत्व में वायुतत्त्व अधिक मात्रा में कार्यरत रहता है एवं मानव शरीर में अपानवायु कार्यरत रहता है । अपानवायु मलनिस्सारण एवं शरीरशुद्धि का कार्य करता है । यह वायु कार्यरत रहते समय मल बाहर निकालने का कार्य सहजता से हो सकता है । बवासीर की बीमारी न हो, एवं उत्तम शरीरशुद्धि होने हेतु इसी कालावधि में मलनिस्सारण करना चाहिए । जैविक घडियाल के समान इस कालावधि में बडी आंत में ऊर्जा कार्यरत रहती है ।
४. ब्राह्ममुहूर्त पर शरीर के नवद्वारों से गंदगी बाहर निकालने का महत्त्व
अपने शरीर में पूरे दिन में संग्रहित गंदगी ९ मार्गों से बाहर निकलती है । २ आंखें, २ नथुने, २ कान, १ मुंह, १ मूत्रद्वार एवं १ गुदाद्वार इन ९ मार्गों को नवद्वार कहते हैं । रात्रि में शरीर की गंदगी इन ९ मार्गों पर संग्रहित होती है । उस गंदगी में अनेक जीवाणु एवं विषाणु रहते हैं, जो रोग उत्पन्न कर सकते हैं । इन जीवाणु एवं विषाणुआें को सूर्यप्रकाश मिलने पर भारी मात्रा में उनकी वृद्धि हो सकती है एवं हमें रोग हो सकते हैं । ऐसा न हो, इसलिए ब्राह्ममुहूर्त पर उठकर यह गंदगी शरीर के बाहर निकाल देनी चाहिए ।
५. ब्राह्ममुहूर्त पर स्नान करने का महत्त्व
सूर्योदय से पूर्व स्नान करने से त्वचा के रंध्र खुल जाते हैं । इससे शुद्ध हवा अंदर शोषित होकर सभी अवयवों को शुद्ध प्राणवायु मिलने से पूरे दिन के काम के लिए संपूर्ण शरीर ताजा हो जाता है । पूरा दिन काम करने पर भी हम पूरी तरह उत्साहित रहते हैं ।
६. इस कालावधि में कार जप करने से मस्तिष्क की स्मरणशक्ति के साथ अन्य शक्तिकेंद्र जागृत रहते हैं । इस समय विद्याध्ययन करने से अन्य समय की अपेक्षा वह अधिक समय तक स्मरण रहता है ।
७. ब्राह्ममुहूर्त पर शरीरशुद्धि करने की आवश्यकता
सूर्योदय के समय सूर्यकिरणों के द्वारा वातावरण में अनेक प्रकार की आरोग्यदायी लहरें आती रहती हैं । अपनी त्वचा के रंध्र यदि खुले हों, तो उन लहरों का शोषण कर सकते हैं । इसलिए ब्राह्ममुहूर्त पर उठकर शरीरशुद्धि करनी चाहिए ।
८. साधना करने से सप्तचक्र जागृत होना
इस कालावधि में मंत्रजप साधना करने से हमारे सप्तचक्र जागृत होते हैं, क्योंकि इस मुहूर्त पर वातावरण शुद्ध होने से अधिक मात्रा में कंपन उत्पन्न होकर कुंडलिनी जागृत होती है ।
९. इस मुहूर्त पर अनेक पुण्यात्माएं एवं सिद्धात्माएं परलोक से पृथ्वीतल पर आती रहती हैं । हम साधना द्वारा इन पुण्यात्माआें एवं सिद्धात्माआें से भेंट कर उत्तम मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं । इस प्रकार ब्राह्ममुहूर्त पर उठकर स्नान आदि कर्म कर हम ऐसे ९ लाभ ग्रहण कर सकते हैं ।
(संदर्भ : वॉट्स अप)