पूर्व एवं पूर्वोत्तर भारत में हिन्‍द़ू जनजागृति समिति द्वारा ‘वैलेंटाईन डे’ के नाम पर हो रहे अनाचार रोकने हेतु अभियान

धनबाद में हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा प्रशासन एवं महाविद्यालयों में निवेदन सौंपा !

     झारखंड (धनबाद) – हिन्‍दू जनजागृति समिति द्वारा धनबाद में वैलेंटाइन डे के नाम पर होनेवाले अनाचार को रोकने हेतु जिला शिक्षा पदाधिकारी, उपायुक्‍त, पुलिस अधीक्षक तथा महाविद्यालय में ज्ञापन देकर मांग की। ‘वैलेंटाईन डे’ की आपेक्षा ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ के रूप में मनाना क्‍यों आवश्यक है तथा वैलेंटाइन से होनेवाली हानि के बारे में युवाआें में जागृति होने के उद्देश्य से महाविद्यालयों में व्याख्‍यानों का आयोजन करने हेतु निर्देश दिए जाएं ।

     इस प्रकार के व्‍याख्‍यान का आयोजन विद्यालय में भी हो क्‍योंकि प्राथमिक-माध्यमिक वर्ग के विद्यार्थी ही आगे महाविद्यालयों में जाने पर वे वैलेंटाइन जैसे दिन न मनाएं इसके लिए अभी से प्रबोधन आवश्यक है; क्योंकि युवा ही भारत की नींव है । निवेदन देते समय समिति के श्री. अमरजीत प्रसाद, श्री. विकास सिंह व श्रीमती मोना प्रसाद उपस्थित थे।

‘वैलेंटाईन डे’ की अपेक्षा ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ मनाना
क्‍यों आवश्‍यक, इस विषय में ऑनलाइन बैठक द्वारा प्रबोधन

     झारखंड (धनबाद) – पूर्व एवं पूर्वोत्तर भारत के विभिन्‍न राज्‍यों से धर्मनिष्ठ युवा तथा धर्माभिमानियों के लिए ऑनलाइन बैठक का आयोजन किया । ‘गत कुछ वर्षों से ‘वैलेंटाईन डे’ मनाने की पाश्चात्‍यों की कुप्रथा भारत में भी प्रचलित हो गई है । पाश्चात्‍यों द्वारा व्यावसायिक लाभ हेतु प्रेम के नाम पर प्रस्तुत इस विकृत संकल्पना के कारण युवा पीढी भोगवाद और अनैतिकता के गर्त में गिरती जा रही है । इन अनाचारों पर रोक लगाने के लिए कुछ समाजसेवी संगठन गत कुछ वर्षों से ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ के माध्यम से युवा पीढी के समक्ष एक आदर्श पर्याय निर्माण करने हेतु प्रयत्नशील हैं ।’ ये विचार हिन्‍दू जनजागृति समिति के श्री. सुमंत देबनाथ ने बैठक में व्‍यक्‍त किए । आगे उन्‍होंने उपस्थितों का मार्गदर्शन करते हुए कहा कि ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ से अपने माता-पिता को सम्मान देने की भावना बढने लगती है । इसलिए ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ का आयोजन करना, यह एक प्रकार से शासकीय नीति को प्रोत्साहन देने समान है । इस बैठक में समिति के पूर्व एवं पूर्वोत्तर भारत के राज्य संगठक श्री. शंभू गवारे उपस्थित थे ।